दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। आरोप है कि उन्होंने द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के मुआवजे में हेरफेर कर अपने बेटे की कंपनी को 315 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया।
यह मामला द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए बामनोली गांव में अधिग्रहित की गई 19 एकड़ जमीन से जुड़ा हुआ है। 2018 में इस जमीन की कीमत 41 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन 2023 में दिल्ली के जिलाधिकारी हेमंत कुमार ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर 353.79 करोड़ रुपये कर दी।
इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के मुख्य सचिव का बेटा एक रियल एस्टेट कंपनी में काम करता है। उस कंपनी का एक निदेशक बामनोली गांव में अधिग्रहीत की गयी जमीन के मालिकों में से एक सुभाष चंद कथूरिया का दामाद है।
शिकायतकर्ता ने कहा कि मुआवजे की राशि बढ़ाने के पीछे मुख्य सचिव का बेटा था। उसने अपने पिता के पद का इस्तेमाल करके मुआवजे की राशि बढ़ाने में मदद की।
मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि मुआवजे की राशि बढ़ाने का निर्णय जिलाधिकारी ने लिया था। उनके पास इस मामले में कोई भूमिका नहीं थी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में विजिलेंस विभाग से जांच की मांग की है। विजिलेंस विभाग मामले की जांच कर रहा है।
भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण नरेश कुमार की छवि पर सवालिया निशान
भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण नरेश कुमार की छवि पर सवालिया निशान लग गया है। वह दिल्ली के मुख्य सचिव पद पर 2022 से कार्यरत हैं। इससे पहले वह अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं।
दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि भ्रष्टाचारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्य सचिव नरेश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का परिणाम आने पर यह पता चल जाएगा कि क्या वे निर्दोष हैं या नहीं। लेकिन इन आरोपों से दिल्ली सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है।
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