हरियाणा: खेल रत्न न मिलने पर गूंगा पहलवान का दर्द, कहा- मेरा कसूर सिर्फ इतना कि मैं मूक-बधिर हूं

Rajiv Kumar

हरियाणा के झज्जर जिले के गांव सासरौली निवासी वीरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान ने खेल रत्न न मिलने पर अपना दर्द सोशल मीडिया पर व्यक्त किया है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा है कि उन्हें 5 डेफ ओलंपिक मेडल जीतने के बाद भी खेल रत्न नहीं मिला। इसके साथ ही हरियाणा सरकार की खेल पॉलिसी के तहत भी उन्हें 8 करोड़ रुपये नहीं दिए गए।

गूंगा पहलवान ने पोस्ट में लिखा है, “मेरा कसूर सिर्फ इतना है कि मैं मूक-बधिर हूं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से आग्रह किया है कि उन्हें खेल रत्न अवार्ड और हरियाणा सरकार की खेल पॉलिसी के तहत मिलने वाले 8 करोड़ रुपये दिए जाएं।

गूंगा पहलवान ने 22 दिसंबर को भी पहलवानों के समर्थन में पद्मश्री लौटाने की घोषणा की थी। उन्हें 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

गूंगा पहलवान ने डेफ ओलंपिक में तीन बार स्वर्ण और दो बार कांस्य पदक जीते हैं। उन्हें भारत सरकार ने अर्जुन अवॉर्ड, पद्मश्री और भीम अवॉर्ड से भी सम्मानित किया है।

गूंगा पहलवान के दर्द को देखकर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उनकी सराहना की है। लोगों का कहना है कि गूंगा पहलवान ने देश के लिए गौरव हासिल किया है, लेकिन उन्हें खेल रत्न नहीं मिलने से उन्हें निराशा हुई है।

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