बृजभूषण शरण सिंह नाम तो आपने सुना ही होगा, जो भारत में खुद को कुश्ती का मालिक मानता है। उन पर महिला पहलवानों के साथ बुरे काम करने का आरोप लगाया गया है, जैसे उन्हें इस तरह से छूना जिससे वे असहज महसूस करें। इस बात से कुछ पहलवान काफी खफा हैं और जंतर-मंतर नामक जगह पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसा पहले भी हो चुका है और वे चाहते हैं कि यह रुके। लेकिन बृजभूषण शरण सिंह का कहना है कि ये आरोप सही नहीं हैं और इससे पहले किसी ने शिकायत नहीं की है. कुछ लोग कहते हैं कि बृज भूषण यूपी का बड़ा बदमाश है. कितनी सही है यह बात, जानिए पूरी कहानी पहली बार.
पहलवान से छात्र नेता बने बृज भूषण शरण सिंह इससे पहले भी कई विवादों में घिर चुके हैं. पार्टी लाइन से हटकर राज ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात हो, या मंच पर पहलवान को थप्पड़ मारने का विवाद, जानते हैं बृज भूषण शरण सिंह के बारे में.
पहलवानी से सांसद तक:
रिपोर्ट्स बताती हैं कि बृज भूषण को बचपन से ही पहलवानी पसंद थी. उनकी पूरी जवानी अखाड़ों में गुजरी. पढ़ाई-लिखाई में भी मन लगता था. उन्होंने अवध यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स की डिग्री हासिल की. इसके बाद छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़े और जीते भी. राजनीतिक सफर का बीज यहीं पड़ा.
साल 1988 में भाजपा से जुड़े. साल 1991 में बृज भूषण चरण सिंह ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा. चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. साल 1992 में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराया गया था. इस मामले में बृज भूषण का नाम लाल कृष्ण आडवाणी समेत उन 40 लोगों में शामिल था, जिनपर ढांचे को गिराने के आरोप लगे थे. हालांकि, बाद में कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था. साल 1999 और 2004 में भी बृज भूषण लगातार दो बार BJP के टिकट से सांसद चुने गए. लेकिन इस बीच उनकी पार्टी से नहीं बनी. जिसकी वजह से बृज भूषण साल 2008 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वो उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट से सपा के टिकट पर खड़े हुए. चुनाव भी जीत गए.
बृज भूषण ने मारा था थप्पड़:
बृज भूषण शरण सिंह का नाम अक्सर विवादों में रहा है. झारखंड के रांची में अंडर-15 नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में बृज भूषण ने एक रेसलर को मंच पर थप्पड़ मार दिया था. बृज भूषण अपने बयानों के लिए भी अक्सर विवादों में रहते हैं. पिछले साल महाराष्ट्र के नेता राज ठाकरे ने जब अयोध्या के दौरे का ऐलान किया था, तब बृज भूषण ने पार्टी के खिलाफ जाकर राज ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. यहां तक कि अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह ने राज ठाकरे का अयोध्या में स्वागत करने की बात कही थी. लेकिन बृज भूषण ने कहा था कि राज ठाकरे को अयोध्या में घुसने नहीं देंगे.
हाल ही में बृज भूषण ने बाबा रामदेव के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था. जिसके बाद पतंजलि की तरफ से बृजभूषण शरण सिंह को नोटिस भी जारी किया गया था. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने एक रैली में बसपा प्रमुख मायावती पर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि मायावती ने यूपी को लूटने का काम किया है.
साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले वो एक बार फिर से BJP में शामिल हो गए. 2014 और 2019 में कैसरगंज सीट से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए. बृज भूषण अब तक छह बार लोकसभा सांसद चुने गए हैं. बृजभूषण शरण के दो बेटे भी हैं. उनके एक बेटे प्रतीक भूषण सिंह गोंडा से बीजेपी विधायक हैं.
2011 से लगातार अध्यक्ष:
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बृज भूषण शरण सिंह साल 2011 में पहली बार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. उसके बाद से वो लगातार तीन बार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं. 2011 से पहले वो तीन साल तक महासंघ के उपाध्यक्ष भी थे.
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बृज भूषण शरण सिंह ने साल 2018 में कुश्ती में एक नई व्यवस्था की शुरुआत की थी. इसे कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम कहा जाता है. इस सिस्टम के तहत खिलाड़ियों को चार अलग-अलग ग्रेड में एक साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है.
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-ग्रेड ए के खिलाड़ियों को हर साल 30 लाख रुपये मिलते हैं. -ग्रेड बी के पहलवानों को 20 लाख रुपये दिए जाते हैं. -ग्रेड सी के खिलाड़ियों को 10 लाख और ग्रेड डी के खिलाड़ियों को हर साल 5 लाख रुपये मिलते हैं.
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