केंद्र सरकार में अफसरों और कार्मिकों द्वारा गिफ्ट लेने का चलन अभी भी जारी है। विदाई/सम्मान समारोह आयोजित करने में भी मनमानी की जा रही है। यह देखा गया है कि सरकार द्वारा तय मापदंडों का उल्लंघन करते हुए गिफ्ट स्वीकार किए जा रहे हैं। इस मामले को लेकर डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) को बार-बार हिदायत जारी करनी पड़ रही है। इसके बावजूद, इन निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है।
21 फरवरी को डीओपीटी ने एक बार फिर सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया है कि वे इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। सीसीएस (आचरण) नियम, 1965 के नियम 14 के अनुसार, डीओपीटी द्वारा निजी निकायों और संस्थानों द्वारा सरकारी कर्मचारियों को पुरस्कार स्वीकार करने के संबंध में समय-समय पर निर्देश जारी किए जाते रहे हैं, लेकिन इनका पूर्ण पालन नहीं हो पा रहा है।
अब सरकार द्वारा ऐसे मामलों में सख्ती बरतेगी। इस तरह के समारोह में शामिल होने या गिफ्ट लेने से पहले, तय अथॉरिटी या सक्षम अधिकारी से इजाजत लेनी होगी।
सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 के नियम 14 में क्या है?
कोई भी सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना, कोई भी मानार्थ या विदाई भाषण नहीं दे सकता। वह कोई भी प्रशंसापत्र स्वीकार नहीं करेगा। अगर किसी अधिकारी या कर्मचारी के सम्मान में कोई समारोह/मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित होता है, तो वह उसमें भाग नहीं लेगा।
इन नियमों में कुछ ढील भी दी गई है:
किसी सरकारी कर्मचारी के सम्मान में आयोजित समारोह/मनोरंजन कार्यक्रम, निजी और अनौपचारिक हो। सेवानिवृत्ति, स्थानांतरण या कोई ऐसा व्यक्ति, जिसने हाल ही में सरकार की सेवा छोड़ दी है, तो उस स्थिति में सार्वजनिक निकायों या संस्थानों द्वारा जो भी समारोह आयोजित किया जाता है, तो वह सरल और सस्ता होना चाहिए।
सरकारी कर्मचारियों को निजी निकायों और संस्थानों द्वारा दिए गए पुरस्कार स्वीकार नहीं करने चाहिए। यदि कोई कर्मचारी किसी विशेष पुरस्कार का हकदार है, तो सक्षम प्राधिकारी (संबंधित मंत्रालय/विभाग के सचिव) की इजाजत लेनी होगी। भारत सरकार के सचिवों द्वारा ऐसा कोई पुरस्कार लिया जाता है, तो उसकी स्वीकृति के लिए सक्षम प्राधिकारी कैबिनेट सचिव होंगे। सक्षम प्राधिकारी भी कुछ शर्तों के साथ और केवल असाधारण परिस्थितियों में ही मंजूरी दे सकते हैं। पुरस्कार में नकद या अन्य किसी तरह की सुविधाओं के रूप में कोई मौद्रिक घटक नहीं होना चाहिए। जिस निजी निकाय/संस्था/संगठन द्वारा पुरस्कार/सम्मान दिया जा रहा है तो उसकी साख बेदाग होनी चाहिए।
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