वाहनों पर रंगीन स्टिकर का दायरा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट का विचार, एनसीआर के बाहर भी लागू हो सकता है आदेश

Rajiv Kumar

वाहनों पर रंगीन स्टिकर का दायरा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट का विचार, एनसीआर के बाहर भी लागू हो सकता है आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वाहनों पर होलोग्राम-आधारित रंगीन स्टिकरों की अनिवार्यता पर जोर देते हुए कहा कि वह इस नियम को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बाहर अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू करने पर विचार करेगा।

2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसमें पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए हल्के नीले रंग के स्टिकर और डीजल वाहनों के लिए नारंगी रंग के स्टिकर लगाने का प्रावधान था। ये स्टिकर वाहन में उपयोग किए जाने वाले ईंधन की पहचान करने और पंजीकरण तिथि की जानकारी देने में मदद करते हैं। कोर्ट ने कहा कि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत डीजल वाहनों की पहचान के लिए यह व्यवस्था महत्वपूर्ण है।

अनुपालन में देरी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

पिछले साल सितंबर में कोर्ट ने दिल्ली और अन्य एनसीआर राज्यों से रंगीन स्टिकर के उपयोग को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने पाया कि दिसंबर 2023 के आदेश का सही से पालन नहीं किया गया, क्योंकि दिल्ली में 27 लाख वाहनों में से केवल 17-18 लाख वाहनों पर ही ये स्टिकर लगे थे। अब इस दिशा में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।

आदेश का उल्लंघन: एक अलग अपराध

सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य फैसले में स्पष्ट किया कि अगर किसी आरोपी को अदालत में पेश होने के लिए प्रोक्लेमेशन जारी किया गया हो और वह अनुपस्थित रहता है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 174ए के तहत एक अलग अपराध माना जाएगा। यहां तक कि अगर आदेश बाद में रद्द हो जाए, तब भी यह अपराध बना रहेगा। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के दोषमुक्त होने पर भी अदालत में गैर-हाजिर रहने के लिए उसे दोषी ठहराया जा सकता है।

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