Delhi Water Crisis: पड़ोसी राज्यों से पानी की मांग को लेकर SC पहुंची दिल्ली सरकार को झटका लगा है। SC ने मुद्दे को जटिल बताते हुए हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। SC ने कहा- राज्यों के बीच यमुना जल बंटवारे का मुद्दा जटिल व संवेदनशील है।
मामले में हमारे पास विशेषज्ञता नहीं है। जल बंटवारा UYRB (यमुना बोर्ड) पर छोड़ देना चाहिए। SC ने UYRB को निर्देश दिया कि वह कल सभी पक्षों के साथ बैठक बुलाए और जल्द से जल्द निर्णय ले।
दिल्ली में जल संकट को लेकर केजरीवाल सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने गुरुवार को सुनवाई की। केजरीवाल सरकार ने याचिका में पड़ोसी राज्यों हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से अधिक पानी की मांग की है।
कोर्ट ने कहा कि राज्यों के बीच पानी के बंटवारे का मुद्दा काफी जटिल है और सुप्रीम कोर्ट के पास इसे हल करने की तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है। इस वजह से अदालत ने पानी बंटवारे का फैसला यमुना रिवर बोर्ड पर छोड़ दिया है। कोर्ट ने बोर्ड को सभी पक्षों की बैठक बुलाकर जल्द फैसला लेने का आदेश दिया है।
कोर्ट के निर्देश:
- यमुना रिवर बोर्ड को आदेश: कोर्ट ने यमुना रिवर बोर्ड को इस मामले पर सभी पक्षों की बैठक बुलाकर जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश दिया है।
- आवेदन देने का निर्देश: केजरीवाल सरकार को शाम 5 बजे तक यमुना रिवर बोर्ड को मानवीय आधार पर विचार करने के लिए आवेदन देने का निर्देश दिया गया है।
हिमाचल सरकार का पलटाव:
पहले की सुनवाई में हिमाचल सरकार ने दिल्ली को 136 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने का वादा किया था, लेकिन आज अदालत में हिमाचल सरकार ने अपने पुराने बयान को वापस लेते हुए कहा कि उनके पास अतिरिक्त 136 क्यूसेक पानी नहीं है।
राजनीतिक विवाद:
पानी की किल्लत के मुद्दे पर राजनीतिक विवाद भी बढ़ गया है। बीजेपी ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, जबकि केजरीवाल सरकार अधिक पानी की आपूर्ति के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है।