- मसूर, उड़द, अरहर, मक्की और कपास की फसल पर अनुबंध की शर्त पर MSP की गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने किया नामंजूर
चंडीगढ़ : केंद्र सरकार की ओर से मसूर, उड़द, अरहर (तूर), मक्की और कपास की फसल पर अनुबंध की शर्त पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने नामंजूर कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सोमवार शंभू बॉर्डर पर पत्रकार वार्ता में स्पष्ट तौर पर कहा कि केंद्र सरकार करार नहीं, एमएसपी की पूरी कानूनी गारंटी दे। इससे कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं है। वहीं, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता जारी रखेंगे। 21 फरवरी की सुबह 11 बजे दिल्ली कूच किया जाएगा।
इससे पहले रविवार रात को चौथे दौर की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने धान और गेहूं के अलावा पांच अन्य फसलों पर एमएसपी गारंटी का प्रस्ताव पेश किया था। इसके लिए किसानों को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) और भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से पांच साल का करार करना होगा। डल्लेवाल ने कहा कि वह फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। डल्लेवाल ने कहा कि सोमवार को उन्होंने सभी किसान संगठनों के साथ बातचीत की, लेकिन पांच फसलों पर पांच साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पा रही। किसानों की तीन प्रमुख मांगें हैं।
इनमें सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी, कर्जमाफी और बिजली अधिनियम वापस लेना शामिल हैं। पांच या सात साल के करार से प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि इस प्रस्ताव के साथ केंद्रीय मंत्रियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खरीद की कोई तय सीमा नहीं होगी। एमएसपी की कानूनी गारंटी पर अब तक केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के बीच चंडीगढ़ में चार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन हल नहीं निकल पाया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद तीन बार इस बैठक में शामिल हो चुके हैं।
जगजीत सिंह डल्लेवाल बोले-सरकार MSP नहीं, खरीद की गारंटी दे रही : किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के बदले केंद्रीय मंत्रियों की ओर से जो प्रस्ताव सामने आया है, वह हमारी मांगों की सहमति के मापदंडों पर बहुत दूर है। दरअसल, मंत्रियों ने किसान संगठनों को एमएसपी की नहीं, बल्कि खरीद के कॉन्ट्रैक्ट की गारंटी दी है। यानी करार के तहत सरकार की नोडल एजेंसियों के माध्यम से पांच साल के लिए फसलों की खरीद सुनिनिश्चत की जा रही है। पांच साल के बाद सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस पर कोई प्लान नहीं है।
सरवन सिंह पंधेर बोले-हम सरकार के साथ बातचीत को तैयार : संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि प्रस्ताव में कुछ भी स्पष्ट नहीं है, हमारे कानूनी सलाहकाराें तक का मानना है कि सरकार की नीयत में खोट है। पंधेर ने कहा हम सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे। जब तक 23 फसलों पर एमएसपी कानूनी गारंटी का हल नहीं निकलता आंदोलन जारी रहेगा। दिल्ली कूच से पहले 21 को संयुक्त किसान मोर्चा की जनरल बॉडी की बैठक शंभू बॉर्डर पर होगी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के घर के बाहर धरने पर बैठे किसान की हार्ट अटैक से मौत : पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के आवास मोती महल के बाहर धरने में बैठे एक किसान की रविवार देर रात हार्ट अटैक से मौत हो गई है। मृतक नरिंदरपाल शर्मा (47) पटियाला के गांव बठोई कलां के रहने वाले थे। कई वर्षों से भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) से जुड़े थे। रविवार देर रात नरिंदरपाल शर्मा की अचानक तबीयत बिगड़ी। उन्हें उल्टियां होने लगीं, जिसके बाद उन्हें राजिंदरा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यूनियन ने सरकार से किसान के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, सरकारी नौकरी और परिवार पर चढ़े 10 लाख रुपये के कर्ज को माफ करने की मांग की है। धरने में बैठे एक अन्य किसान गुरविंदर सिंह ने बताया कि नरिंदरपाल को उल्टियां होने लगीं, जिसमें थोड़ा खून भी था। इसके बाद उन्हें सरकारी राजिंदरा अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने मौत का कारण हार्ट अटैक बताया है। नरिंदरपाल सिंह परिवार में अकेले ही कमाने वाले थे। उनकी दो बेटियां व एक 17 साल का बेटा है। अब तक किसान आंदोलन में तीन किसानों और एक सुरक्षाकर्मी समेत चार लोगों की मौत हो चुकी है।
लाडोवाल टोल प्लाजा तीसरे दिन भी कराया फ्री : किसानों ने लगातार तीसरे दिन पंजाब के सबसे बड़े लाडोवाल टोल प्लाजा पर वसूली नहीं होने दी। किसान लाडोवाल टोल प्लाजा पर पक्का मोर्चा लगाकर बैठे हैं। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के जिला महासचिव सौदागर सिंह घुडाणी ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर किसानों पर अत्याचार किया जा रहा है। बैठकों के दौर से साफ है कि केंद्र सरकार टाल मटोल वाला काम कर रही है।
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