किसान आंदोलन: ‘लोगों को असुविधा से बचाएं’, सुप्रीम कोर्ट की किसान नेताओं को सख्त हिदायत
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और अन्य प्रमुख किसान नेताओं से कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान आम जनता को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया कि किसानों को प्रदर्शन के दौरान राजमार्गों को बाधित करने या लोगों की दैनिक गतिविधियों में रुकावट पैदा करने से बचना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन करना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन इसे दूसरों की स्वतंत्रता और अधिकारों को बाधित किए बिना करना चाहिए। राजमार्गों को अवरुद्ध करना या जनता के लिए समस्याएं पैदा करना उचित नहीं है।”
किसान नेताओं से अपील करते हुए अदालत ने कहा कि वे अपने प्रदर्शनकारी साथियों को समझाएं कि विरोध का तरीका ऐसा हो, जो दूसरों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले।
किसानों की मांगें और आंदोलन का संदर्भ
देशभर के किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कर्ज माफी, बिजली संशोधन विधेयक, और फसल बीमा योजना से जुड़े मुद्दों को लेकर है। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है, जिससे वे आंदोलन करने पर मजबूर हैं।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, “हम अपनी समस्याओं को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारी आवाज सरकार तक पहुंचे। लेकिन, हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसी को असुविधा न हो।”
राजमार्ग अवरोध और कानूनी अड़चनें
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश उस समय दिया, जब कई जगहों से यह शिकायतें आईं कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग बाधित हो रहे हैं। अदालत ने कहा, “राजमार्गों पर आंदोलन करने से यातायात में रुकावट आती है, जिससे मरीजों, छात्रों और रोजमर्रा के यात्रियों को परेशानी होती है।”
यह मुद्दा खास तौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में गंभीर है, जहां किसानों के विरोध प्रदर्शन अक्सर प्रमुख सड़कों पर देखे जाते हैं।
सरकार और किसानों के बीच बातचीत
केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन समाधान नहीं निकला है। सरकार ने किसानों से उनके मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से उठाने की अपील की है। कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है।