हरियाणा में अफसरशाही बेलगाम होने के आरोप शुरू से ही लगते रहे हैं। विधायकों से लेकर मंत्री तक अफसरों पर सुनवाई नहीं करने और अनदेखी के आरोप लगा चुके हैं। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डॉ. सोनिया त्रिखा खुल्लर को विभाग से हटवाने के लिए मुख्यमंत्री से दबाव बनाया था। आखिरकार दो महीने के बाद मुख्यमंत्री ने विज की बात मान ली और डॉ. खुल्लर को विभाग से हटा दिया गया।
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी अफसरशाही पर कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे हैं। उन्होंने उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण और सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह के खिलाफ मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं। इन दोनों अधिकारियों पर विभागीय मंत्री की बात नहीं सुनने और बिना उनकी जानकारी के कैबिनेट में प्रस्ताव रखने के आरोप हैं।
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया कि उन्होंने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ पहले भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अफसरशाही पर कार्रवाई के लिए अब वह एक और बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे। अगर फिर भी कार्रवाई नहीं हुई तो वह मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर अपनी बात रखेंगे।
सूत्रों का कहना है कि डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अफसरशाही पर अपनी पकड़ मजबूत दिखाने के लिए दबाव बना रहे हैं। उन्हें लगता है कि अफसरों के खिलाफ कार्रवाई न होने से जजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी गलत संदेश जा रहा है।
हरियाणा में अफसरशाही पर दबाव बढ़ने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि अगर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मांगें पूरी नहीं हुईं तो अफसरशाही और सरकार के बीच तनाव बढ़ सकता है।
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