चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर विवाद: CJI खन्ना ने सुनवाई से खुद को किया अलग
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मुद्दे पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि वह इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर सकते। अब यह मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष सुना जाएगा।
जनवरी 2025 में होगी अगली सुनवाई
CJI ने निर्देश दिया कि इस मामले को जनवरी 2025 में सूचीबद्ध किया जाए। जानकारी के मुताबिक, अगली सुनवाई 6 जनवरी को हो सकती है। सीजेआई ने बार एंड बेंच के हवाले से कहा, “इस मामले को ऐसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें, जिसका मैं हिस्सा नहीं हूं।”
क्या है मामला?
कई याचिकाकर्ताओं, जिनमें एक गैर-सरकारी संगठन भी शामिल है, ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कानून “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023” की वैधता पर सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस अधिनियम की धारा 7, जो नियुक्ति प्रक्रिया से सीजेआई को बाहर रखती है, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करती है। उन्होंने इस कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है।
पिछली पीठ का संदर्भ
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन और प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि न्यायमूर्ति खन्ना की अध्यक्षता वाली पिछली पीठ ने इस मामले में अंतरिम आदेश पारित किया था। लेकिन अब, CJI खन्ना ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है, जिससे यह मामला शीतकालीन अवकाश के बाद नए सिरे से सुना जाएगा।
कानून पर विवाद क्यों?
इस कानून के तहत, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए गठित पैनल से सीजेआई को हटा दिया गया है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चयन प्रक्रिया में सीजेआई की भागीदारी आवश्यक है ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
CJI संजीव खन्ना की भूमिका
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जो हाल ही में देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं, ने अपने पद की गरिमा को बनाए रखते हुए खुद को इस मामले से अलग कर लिया। इससे यह संकेत मिलता है कि सुप्रीम कोर्ट पारदर्शिता और निष्पक्षता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।