एकनाथ शिंदे सरकार ने 7 लाख मराठाओं को आरक्षण का पात्र माना, फिर भी क्यों सुलग रही है आग?

एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर एक अहम फैसला लिया है। सरकार ने 7 लाख मराठा छात्रों को आरक्षण का पात्र माना है। यह फैसला मराठा आंदोलन को शांत करने के लिए लिया गया है। हालांकि, इस फैसले के बाद भी मराठा आंदोलन क्यों जारी है? इसके पीछे कई कारण हैं।

1. आरक्षण का दायरा सीमित है: सरकार ने केवल 7 लाख मराठा छात्रों को आरक्षण का पात्र माना है। जबकि, मराठा आरक्षण आंदोलन में शामिल लोगों का दावा है कि महाराष्ट्र में लगभग 20 लाख मराठा छात्र आरक्षण के पात्र हैं। सरकार के इस फैसले से कई मराठा छात्रों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

2. आरक्षण की अवधि सीमित है: सरकार ने आरक्षण की अवधि 2026 तक तय की है। जबकि, मराठा आरक्षण आंदोलन में शामिल लोग चाहते हैं कि आरक्षण को हमेशा के लिए लागू किया जाए। सरकार के इस फैसले से मराठा छात्रों को भविष्य में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

3. अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण पर असर: सरकार के इस फैसले से अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण पर भी असर पड़ सकता है। क्योंकि, सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए अन्य पिछड़ा वर्गों के आरक्षण को कम किया है। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को भी आरक्षण का लाभ कम मिलेगा।

सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई

मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक आज, 1 नवंबर 2023 को मुंबई में होगी। बैठक में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सरकार इस बैठक में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सभी दलों के साथ चर्चा करेगी।

एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। हालांकि, इस फैसले से मराठा आंदोलन पूरी तरह से शांत नहीं होगा। आंदोलन के पीछे कई अन्य कारण भी हैं। सरकार को इन कारणों को भी ध्यान में रखकर मराठा आरक्षण के मुद्दे को हल करने की कोशिश करनी चाहिए।