Acharya Vidyasagar Maharaj: जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने ली समाधि, डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में अंतिम संस्कार

जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज
  • आचार्य विद्या सागर का पार्थिव शरीर डोले में रखकर अग्निकुंड तक ले जाया गया
  • उन्होंने पिछले 3 दिन से उपवास और मौन धारण कर लिया था
  • आजीवन नमक-चीनी, हरी सब्जी, दूध-दही नहीं खाया, दिन में एक बार पानी पीते थे

डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) : विश्व प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का शनिवार देर रात हुआ निधन हो गया। जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। डोंगरगढ़ की चंद्रगिरी में में उन्होंने अंतिम सांस ली। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने अंतिम सांसें लीं। रात लगभग 2:30 बजे महाराज का देवलोक गमन हो गया। जैन समाज के प्रमुख धर्म गुरुओं में से एक आचार्य विद्यासागर जी महाराज थे। कुछ महीने पूर्व विधानसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोंगरगढ़ पहुंचकर जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज से मुलाकात की थी, जिसकी फोटो उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी।
डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी पर्वत पर जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने शरीर त्याग दिया है। वहीं, आज रविवार को दोपहर लगभग एक बजे उन्हें पंचतत्व में विलीन किया जाएगा। इस दौरान बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स कर लिखा- “मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सम्मान मिला। मैं पिछले साल के अंत में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता। उस समय, मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय बिताया था।
आचार्य विद्यासागर महराज का जन्म कर्नाटक में हुआ था : आचार्य विद्यासागर महराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन 10 अक्तूबर को हुआ था। आचार्य विद्यासागर महराज के तीन भाई और दो बहन स्वर्णा और सुवर्णा ने भी उनसे ही ब्रह्मचर्य लिया था। आचार्य विद्यासागर महराज अब तक 500 से ज्यादा दिक्षा दे चुके हैं। हाल ही में 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उन्हें ब्रह्मांड के देवता के रूप में सम्मानित किया गया।
माता-पिता ने भी ली दिक्षा : आचार्य विद्यासागर महराज की माता नाम श्रीमति और पिता का नाम मल्लपा था। उनके माता-पिता ने भी उनसे ही दिक्षा लेकर समाधि प्राप्त की थी। पूरे बुंदेलखंड में आचार्य विद्यासागर महराज छोटे बाबा के नाम से जाने जाते हैं, क्योंकि उन्होंने मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित कुंडलपुर मं। बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की मूर्ति को मंदिर में रखवाया था और कुंडलपुर में अक्षरधआम की तर्ज पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था।
प्रधानमंत्री मोदी उनकी समाधि पर हुए भावुक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी समाधि पर भावुक हुए। उन्होंने कहा कि वह पिछले साल के अंत में डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकते हैं। उस समय उन्होंने महाराज जी के साथ समय बिताया था। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पीएम मोदी ने कहा, ‘नड्डा जी के माध्यम से मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं। आज मैं समस्त देशवासियों की तरफ से संत शिरोमणि आचार्य श्री पूज्य विद्यासागर महाराज को श्रद्धा और आदरपूर्वक नमन करते हुए श्रद्धांजलि देता हूं। उनकी समाधि लेने की सूचना मिलने के बाद उनके अनुयायी शोक में हैं। हम सभी शोक में हैं।
विद्यासागर जी ने आजीवन नमक-चीनी, हरी सब्जी, दूध-दही नहीं खाया : जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज ने शनिवार रात 2:30 बजे देह त्याग दी थी। आज दोपहर उनका अंतिम संस्कार किया गया। आचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उस दिन शरद पूर्णिमा थी। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर में अपने गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनि दीक्षा ली थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। 22 साल की उम्र में घर, परिवार छोड़ उन्होंने दीक्षा ली थी। दीक्षा के पहले भी उनका नाम विद्यासागर ही था। उन्होंने अपने संन्यास जीवन के लिए बहुत कठिन नियम बनाए थे। दूध, दही, हरी सब्जियां और सूखे मेवे कभी नहीं खाए। पानी भी दिन में सिर्फ एक बार अपनी अंजुलि से भर कर पीते थे। वे बहुत ही सीमित मात्रा में सादी दाल और रोटी खाने में लेते थे। उन्होंने पैदल ही पूरे देश में विहार किया।
गुरुवर्य श्री जी का निकाला गया डोला : छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ली। गुरुवर्य श्री जी का डोला चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ में दोपहर 1 बजे निकाला गया। चन्द्रगिरि तीर्थ पर ही पंचतत्व में विलीन किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राष्ट्र संत आचार्य विद्यासागर महा मुनिराज जी के ब्रम्हलीन होने पर उन्हें नमन किया है। राज्य शासन की ओर से वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि संत परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज जी के सम्मान में आज छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा इसके साथ ही राजकीय समारोह और कार्यक्रम आयोजित नहीं होगी।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version