हरियाणा हाईकोर्ट ने 15 साल पुराने मानहानि के मामले में गुरुग्राम की अदालत की ओर से जारी समन आदेश और अन्य कार्रवाई को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्रकार निडर होकर ईमानदारी से काम करें, ऐसा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें संवैधानिक अदालतों की सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और पत्रकार का पवित्र कर्तव्य नागरिकों के प्रति वफादारी होता है। पत्रकारिता सभ्यता का दर्पण है और खोजी पत्रकारिता इसका एक्स-रे है। पत्रकार सत्ता की स्वतंत्र निगरानी का कार्य करते हैं और सार्वजनिक प्रणाली में समस्या व खामियों को उजागर करते हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि सच्चाई को उजागर करने के कार्य को करते हुए पत्रकारों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इन बाधाओं में प्रभावशाली दलों, समूहों या सरकारी एजेंसियों आदि का दबाव शामिल है। ईमानदारी के साथ सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए ऐसे पत्रकारों को अदालतों और विशेष रूप से संवैधानिक अदालतों की सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों को ऐसे साहसी लोगों के हितों की रक्षा करते समय अधिक सतर्क और सक्रिय होना चाहिए। अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकार निडर होकर कार्य कर सकें और सच्चाई को उजागर कर सकें।
इस निर्णय से पत्रकारों को बड़ी राहत मिली है। यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि पत्रकार निडर होकर कार्य कर सकें और लोकतंत्र की चौथी स्तंभ की भूमिका निभा सकें।
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