तेलंगाना सुरंग हादसा: बचाव अभियान जारी, श्रमिकों के सुरक्षित निकलने की उम्मीद कम

तेलंगाना सुरंग हादसा: बचाव अभियान जारी, श्रमिकों के सुरक्षित निकलने की उम्मीद कम

श्रीशैलम लेफ्ट बैंक नहर की सुरंग में हुए हादसे को लेकर सिंगरेनी कोलियरीज के महाप्रबंधक श्रीनिवास रेड्डी ने कहा, “हमने घटनास्थल का निरीक्षण किया। सुरंग में 11 किलोमीटर तक पानी भर चुका है, जिससे अंदर फंसे श्रमिकों के सुरक्षित बाहर निकलने की संभावना बहुत कम है। हालांकि, राहत और बचाव दल पूरी ताकत से उन्हें बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं।”

भारतीय सेना का बचाव अभियान में सहयोग

भारतीय सेना के बाइसन डिवीजन की इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) को इस अभियान में तैनात किया गया है। उच्च क्षमता वाले पंपिंग सेट, बख्तरबंद नली, उत्खननकर्ता और बुलडोजर के साथ सेना की चिकित्सा टीमें और इंजीनियर मलबा हटाने और सुरंग में फंसे श्रमिकों की सुरक्षित निकासी में जुटे हुए हैं।

बचाव दल ने बोरिंग मशीन वाले स्थान तक पहुंच बनाई

शनिवार को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक नहर परियोजना की सुरंग ढहने से आठ श्रमिक करीब 14 किलोमीटर अंदर फंस गए थे। जिला कलेक्टर बी संतोष ने बताया कि बचाव दल उस स्थान तक पहुंचने में सफल रहा है, जहां घटना के वक्त सुरंग बोरिंग मशीन कार्यरत थी। हालांकि, भारी गाद और पानी की वजह से श्रमिकों तक पहुंचने में अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं।

राहत अभियान में जुटी टीमें

बचाव अभियान की निगरानी कर रहे जिला कलेक्टर ने जानकारी दी कि एनडीआरएफ की चार टीमें (एक हैदराबाद से और तीन विजयवाड़ा से) 138 सदस्यों के साथ, सेना के 24 जवान, एसडीआरएफ और एससीसीएल की टीमें उपकरणों के साथ अभियान में जुटी हैं। सुरंग में ऑक्सीजन और बिजली की आपूर्ति कर दी गई है, जबकि पानी और गाद निकालने का काम भी जारी है।

राज्यपाल ने राहत कार्यों का लिया जायजा

तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने नागरकुरनूल के जिला कलेक्टर से फोन पर बात कर बचाव अभियान की जानकारी ली। उन्होंने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की संयुक्त कार्रवाई की समीक्षा की और अधिकारियों को फंसे श्रमिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

सुरंग का निर्माण कार्य अधूरा

मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि एसएलबीसी परियोजना को 35 साल पहले मंजूरी दी गई थी और करीब 30 साल पहले सुरंग निर्माण शुरू हुआ था। 44 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का अब भी 9 किलोमीटर निर्माण बाकी है।

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