उत्तर प्रदेश के सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य अधिकारियों को गैरकानूनी धर्म परिवर्तन और दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तारी से सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत दी है।
दो जजों की खंडपीठ ने कुलपति द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 दिसंबर 2023 को आदेश दिया था कि आरोपी एक जघन्य अपराध के आरोपी हैं और उन्हें 20 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करना चाहिए।
महिला ने आरोप लगाया है कि कुलपति और अन्य अधिकारियों ने उसे नौकरी की पेशकश के बाद जबरन धर्म परिवर्तन कराया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह एक गंभीर मामला है और इसकी जांच निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए। हालांकि, आरोपियों को गिरफ्तारी से राहत देने का फैसला सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि यह एक अंतरिम आदेश है और अंतिम फैसला सुनवाई के बाद ही होगा।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी इस बीच जांच में सहयोग करें और किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करें।
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