104 वर्षीय बुजुर्ग को सुप्रीम कोर्ट से राहत: हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे रसिक मंडल को मिली जमानत

104 वर्षीय बुजुर्ग को सुप्रीम कोर्ट से राहत: हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे रसिक मंडल को मिली जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने 1988 में हत्या के दोषी ठहराए गए 104 वर्षीय रसिक चंद्र मंडल को अंतरिम जमानत देकर बड़ी राहत दी है। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी मंडल वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए अदालत ने यह निर्णय लिया।

मामले का इतिहास

  1. हत्या और सजा
    1988 में हत्या के आरोप में रसिक मंडल को दोषी ठहराया गया। 12 दिसंबर 1994 को ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
  2. हाईकोर्ट में 25 साल लंबी अपील
    मंडल ने 1994 में कलकत्ता हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की, लेकिन 25 साल बाद, 2018 में अदालत ने उनकी सजा को बरकरार रखा।
  3. सुप्रीम कोर्ट की शरण
    हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मंडल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी।

जेल में स्वास्थ्य की स्थिति

रसिक मंडल की उम्र 104 वर्ष होने के कारण, वे उम्रजनित बीमारियों से ग्रस्त हैं। 14 जनवरी 2019 से वे जेल में हैं, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बालुरघाट सुधार गृह में स्थानांतरित कर दिया गया था।

अंतरिम जमानत का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर 2024 को मंडल की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की शर्तों पर उन्हें जमानत दी जाएगी।

परिवार के साथ अंतिम दिन बिताने की अपील

मंडल ने अपनी रिट याचिका में अदालत से आग्रह किया था कि उन्हें जेल से रिहा किया जाए ताकि वे अपने जीवन के अंतिम दिन परिवार के साथ बिता सकें।

 

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