लोकसभा की विशेषाधिकार समिति सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार की शिकायत पर विचार नहीं कर सकी। बैठक न्यूनतम आवश्यक सदस्यों की संख्या की कमी के कारण नहीं हो सकी।
भाजपा ने इस घटनाक्रम पर नाराजगी जाहिर की है, क्योंकि समिति के कुछ सदस्य नहीं पहुंचे।
सूत्रों के अनुसार, समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह के अलावा दिलीप घोष और कल्याण बनर्जी सहित तीन सांसद (सदस्य) बैठक के लिए पहुंचे। जबकि एक और सांसद ने हस्ताक्षर करने के बाद जाने का फैसला किया।
मजूमदार ने शिकायत की थी कि उन्हें संदेशखाली जाने की अनुमति नहीं दी गई। जिसके बाद विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें राज्य की पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की बर्बरता और जानलेवा चोटों का सामना करना पड़ा।
समिति ने बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक सहित अनय अधिकारियों को आज सुबह करीब साढ़े दस बजे पेश होने के लिए कहा था। हालांकि, अपनी व्यस्तताओं के कारण अधिकारी पेश नहीं हुए।
इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को समिति की ओर से जारी नोटिस पर रोक लगा दी और उनकी याचिका पर चार हफ्ते बाद सुनवाई तय की।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल के अधिकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई की।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि समिति यह देखते हुए इस मामले में आगे बढ़ सकती है कि शीर्ष अदालत का फैसला उसकी तय बैठक के बाद आया है।
उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद मजूमदार की शिकायत समिति के एजेंडे में बनी हुई है। लेकिन जरूरी सदस्यों की संख्या की कमी की वजह से तय किया गया कि इसमें आगे नहीं बढ़ा जा सकता है।
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