खान सर की सीख: किताबें हों हर हाथ में, चप्पल का न हो कोई गम

खान सर की सीख: किताबें हों हर हाथ में, चप्पल का न हो कोई गम

“पैर में चप्पल नहीं है, कोई बात नहीं, लेकिन हर छात्र के हाथ में किताब जरूर होनी चाहिए।” ये प्रेरणादायक बातें पटना पुस्तक मेले में आयोजित ‘सान्निध्य कार्यक्रम’ के दौरान खान सर ने कही। उन्होंने जीवन में किताबों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि एक अच्छी किताब जीवन को नई दिशा दे सकती है।


किताबों का महत्व और युवा पीढ़ी की चिंता

खान सर ने युवाओं में किताबों से घटते लगाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा,

“आज की युवा पीढ़ी हर समस्या का समाधान शॉर्टकट में चाहती है, लेकिन हर चीज शॉर्टकट से नहीं हो सकती। किताबें पढ़ने से ही सोचने और समझने की क्षमता विकसित होती है।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किताबें व्यक्ति को सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

महिलाओं की शिक्षा पर जोर

महिलाओं की शिक्षा के महत्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा,

“अगर आप अपनी बेटी को शिक्षित नहीं करना चाहते हैं, तो भविष्य में अपनी पत्नी का इलाज किसी महिला डॉक्टर से कैसे करवाएंगे? इसलिए लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।”
उन्होंने समाज में शिक्षा को एक सशक्त माध्यम बताया, जो बदलाव का मार्ग प्रशस्त करता है।

शिक्षा: एक सशक्त बिजनेस मॉडल

खान सर ने शिक्षा को ऐसा क्षेत्र बताया, जहां कम खर्च में बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा,

“शिक्षा एक ऐसा बिजनेस है, जिसका कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। यह समाज के विकास की नींव है।”

लोक संस्कृति और साहित्यकारों का सम्मान

खान सर ने महान लोक गायिका शारदा सिन्हा को याद करते हुए कहा कि छठ पर्व पर उनके गीतों से माहौल गूंज उठता था। उन्होंने लेखिका उषा किरण खान का भी स्मरण किया।

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