दिल्ली में जापानी इंसेफेलाइटिस का मामला: घबराने की जरूरत नहीं, अधिकारी सतर्क

दिल्ली के उत्तम नगर में 72 वर्षीय व्यक्ति में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का मामला सामने आया है। यह मामला राष्ट्रीय राजधानी में अलग-थलग है, और अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि प्रकोप जैसी कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि अधिकांश जेई मामले पड़ोसी राज्यों से आते हैं।

72 वर्षीय मरीज में हुई पुष्टि, अब स्थिति स्थिर

उत्तम नगर निवासी 72 वर्षीय व्यक्ति को 3 नवंबर, 2024 को एम्स में भर्ती किया गया था। वह पहले से मधुमेह और कोरोनरी धमनी रोग जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित था। 6 नवंबर को, उसका जेई संक्रमण की पुष्टि हुई। उचित उपचार के बाद, उसे 15 नवंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

जेई वायरस कैसे फैलता है?

जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस मुख्य रूप से संक्रमित क्यूलेक्स मच्छरों के माध्यम से फैलता है। यह वायरस जलपक्षियों और सूअरों में बढ़ता है। हालांकि, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क से नहीं फैलता है।

दिल्ली में प्रकोप नहीं, अधिकारी सतर्क

अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली में प्रकोप जैसी स्थिति नहीं है। ज्यादातर मामले पड़ोसी राज्यों से आते हैं। उन्होंने एम्स, आरएमएल और एसजेएच जैसे अस्पतालों में नियमित निगरानी और राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) द्वारा सुझाए गए सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय लागू किए हैं।

असम में सबसे ज्यादा मामले

एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के अनुसार, 2024 में भारत में 1,548 जेई मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 925 असम से हैं। यह बीमारी देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पाई जाती है।

रोकथाम और टीकाकरण के प्रयास

2013 से, यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) में बच्चों के लिए जेई टीके को शामिल किया गया है। वयस्कों का टीकाकरण भी उन राज्यों में शुरू किया गया है जहां इस बीमारी का अधिक प्रकोप है।

लक्षण और बचाव के तरीके

जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं:

  • हल्के लक्षण: बुखार, सिरदर्द।
  • गंभीर लक्षण: मतली, उल्टी, गर्दन में अकड़न, बोलने में कठिनाई, और स्पास्टिक पैरालिसिस।

बचाव के उपाय:

  1. लंबी आस्तीन के कपड़े पहनें।
  2. मच्छरदानी और कीटनाशकों का उपयोग करें।
  3. घर और आसपास सफाई रखें।
  4. पानी जमने से रोकें।
  5. टीकाकरण करवाएं।

अतीत में जेई का प्रभाव

2006 में असम में जापानी इंसेफेलाइटिस से लगभग 1,500 मौतें दर्ज की गई थीं। इसके बाद, सरकार ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण और अन्य उपाय तेज किए।


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