गगनयान मिशन से पहले इसरो की बड़ी सफलता, यूरोपीय एजेंसी के साथ परीक्षण पूरा

गगनयान मिशन से पहले इसरो की बड़ी सफलता, यूरोपीय एजेंसी के साथ परीक्षण पूरा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान की सफलता के लिए एक अहम पड़ाव पार कर लिया है। इसरो ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के ग्राउंड स्टेशन के साथ ऑर्बिटल मॉड्यूल संचार प्रणालियों का सफल परीक्षण पूरा किया है। इस परीक्षण से यह सुनिश्चित हुआ कि अंतरिक्ष में संपर्क बनाए रखने की भारतीय प्रणाली यूरोपीय एजेंसी के नेटवर्क के साथ प्रभावी ढंग से काम कर सकती है।

क्यों जरूरी था यह परीक्षण?

गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने से पहले सभी संचार प्रणालियों का सही तरीके से काम करना बेहद जरूरी है। इसरो के अनुसार, इस परीक्षण से यह सत्यापित किया गया कि ऑनबोर्ड टेलीमेट्री, ट्रैकिंग, कमांड (TTC), डेटा हैंडलिंग, और ऑडियो-वीडियो संचार जैसी महत्वपूर्ण प्रणालियां बाहरी ग्राउंड स्टेशनों के साथ समन्वय में काम कर रही हैं।

गगनयान मिशन से भारत को क्या मिलेगा?

अगर गगनयान मिशन सफल होता है, तो भारत उन गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने स्वयं मानवयुक्त अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। फिलहाल यह उपलब्धि केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास है।

मिशन की लॉन्चिंग कब होगी?

इसरो के पूर्व अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने 2024 में बताया था कि गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्री 2025 में उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसरो दिन-रात काम कर रहा है ताकि अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित भेजने और वापस लाने की तकनीक को और उन्नत किया जा सके। पिछले कुछ वर्षों में इस मिशन के लिए कई महत्वपूर्ण तकनीकों को विकसित और सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

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