भारत और मालदीव के बीच संबंध हमेशा से ही अच्छे रहे हैं। दोनों देशों के बीच सदियों पुरानी सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध हैं। भारत ने कई मौकों पर मालदीव की मदद की है, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।
ऑपरेशन कैक्टस
साल 1988 में, मालदीव की राजधानी माले में आतंकवादियों ने हमला किया। तब तत्कालीन मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम को सत्ता से बेदखल करने की योजना थी। भारत ने मालदीव की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और एक विशेष सैन्य टुकड़ी भेजी। भारतीय सेना ने स्थिति को काबू में किया और मालदीव की सरकार गिरने से बचा ली।
ऑपरेशन सी वेव्स
साल 2004 में, हिंद महासागर में आए भूकंप और सुनामी ने मालदीव को तबाह कर दिया। भारत ने मालदीव की मदद के लिए राहत सामग्री और आर्थिक मदद भेजी। भारत ने मालदीव के पुनर्निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ऑपरेशन नीर
साल 2014 में, मालदीव की राजधानी माले में पानी की समस्या पैदा हो गई। भारत ने मालदीव को पीने का पानी भेजा और पानी की समस्या को हल करने में मदद की।
कोरोना महामारी
साल 2020 में, कोरोना महामारी ने मालदीव को भी प्रभावित किया। भारत ने मालदीव को चिकित्सा सहायता और कोरोना वैक्सीन भेजी।
भारत के इन चार एहसानों को मालदीव कैसे भूल सकता है?
भारत ने हमेशा से ही मालदीव के विकास और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हुए हैं, लेकिन भारत के इन एहसानों को मालदीव कभी नहीं भूल सकता है।
ताजा विवाद
हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरों पर मालदीव के राजनेताओं द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं। इन टिप्पणियों से भारत में आक्रोश फैल गया और लोगों ने बॉयकॉट मालदीव का अभियान चलाया। भारत ने मालदीव के राजनेताओं की टिप्पणियों की निंदा की और उन्हें वापस लेने के लिए कहा।
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