हिसार के आदमपुर के चूली बागड़ियान गांव की बेटियां फुटबॉल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। आर्थिक तंगी और पड़ोसियों के तानों के बावजूद इन बेटियों ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की है।
इन बेटियों में ममता, किरण और रीनू शामिल हैं। तीनों ही जाट कॉलेज की छात्रा हैं। उन्होंने 9 साल पहले फुटबॉल खेलना शुरू किया था। उस समय इनके पास फुटबॉल किट तक नहीं थी। स्कूल ड्रेस में ही ये अभ्यास करती थीं।
पड़ोसियों ने इन बेटियों को तंज कसना शुरू कर दिया। वे कहने लगे कि “पहनने को जूते नहीं, चली हैं फुटबालर बनने।” लेकिन इन बेटियों ने इन तानों को नहीं सुना। उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया और मेहनत से प्रैक्टिस करती रहीं।
इन बेटियों के परिवार ने भी उनका पूरा साथ दिया। परिवार के सदस्यों ने आर्थिक मदद की और इन बेटियों को फुटबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया।
इन बेटियों की कड़ी मेहनत और लगन का फल मिला। उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। पिछले साल ममता ने खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक और ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। किरण फरवरी में गुवाहटी में होने वाले खेलो इंडिया में हिस्सा ले रही हैं। रीनू तीन बार नेशनल खेल चुकी हैं।
इन बेटियों की कहानी अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा है। ये बेटियां दिखाती हैं कि अगर किसी के पास सपने हों तो उसे उन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। आर्थिक तंगी या पड़ोसियों के ताने किसी को भी अपने लक्ष्य से नहीं रोक सकते।
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