जज्बा हो तो कोई काम असंभव नहीं है। यह बात हरियाणा के चरखी दादरी जिले के कादमा निवासी 107 वर्षीय रामबाई ने साबित कर दिया है। शुक्रवार को उन्होंने तेलंगाना में आयोजित 5वीं राष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीते। 2500 खिलाड़ियों के सामने रामबाई को प्रेरणास्रोत के रूप में पेश किया गया।
तेलंगाना के हैदराबाद में आयोजित चैंपियनशिप में रामबाई ने 100 मीटर की दौड़ में भी स्वर्ण पदक जीता। 105 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की दौड़ स्पर्धा में भी वे स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। पांच दिन पहले उन्होंने अलवर में आयोजित 100 मीटर दौड़ स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक हासिल किया था।
रामबाई का परिवार खेल मैदान में प्रेरणास्रोत बना है। उनकी दो बेटी 70 वर्षीय सुंदर देवी और 65 वर्षीय संतरा देवी भी एथलीट हैं। ये दोनों भी नेशनल स्पर्धाओं में पदक जीत चुकी हैं। उनकी संतरा देवी की बेटी 40 वर्षीय शर्मिला देवी भी एथलीट हैं। ज्यादातर स्पर्धाओं में रामबाई अपनी बेटियों व दोहती के साथ भाग लेने पहुंचती हैं।
रामबाई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी अपनी छाप छोड़कर देश को चार स्वर्ण पदक जीता चुकी हैं। उन्होंने नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 100 व 200 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते थे। इसके अलावा वो मलेशिया में आयोजित 100 व 200 मीटर दौड़ स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।
107 वर्ष की उम्र में खेल मैदान से जुड़े रहना हर किसी के लिए संभव नहीं है। रामबाई उम्र के बढ़ते पड़ाव में भी लगातार खेल मैदान में उतरकर पदक जीत रही हैं। नियमित पैदल चलना और देसी खुराक रामबाई की सेहत का राज है। वह सुबह-शाम आधा किलो दूध पीती हैं, जबकि घी, चूरमा, दही और मिस्सी रोटी खाती हैं। इसके अलावा वह सुबह-शाम खेतों में सैर करने भी जाती हैं।
रामबाई जैसी हस्तियां निश्चित रूप से युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी लगन और जज्बा हमें सिखाता है कि उम्र केवल एक संख्या है और यदि हम दृढ़ संकल्पित हैं तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
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