पिछले काफी समय से हरियाणा समेत देशभर के लाखों बच्चे असमजंस में हैं कि फाइनल ईयर की परीक्षाएं होंगी या नहीं। कई राज्य सरकारों ने परीक्षा न लेने का निर्णय लिया था लेकिन यूजीसी ने परीक्षा लेने के सख्त निर्देश दे दिए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई वाली बेंच ने अंतिम वर्ष की परीक्षा टालने वाली याचिका पर सुनवाई की। यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तथ्य स्पष्ट हैं। जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि क्या यूजीसी के आदेश और निर्देश में सरकार दखल दे सकती है। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि छात्रों का हित किसमें है? ये छात्र तय नहीं कर सकते, इसके लिए वैधानिक संस्था है, छात्र ये सब तय करने के काबिल नहीं हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकारें बस दो ही काम कर सकती हैं, अव्वल तो परीक्षा कराने में खुद को असमर्थ बताते हुए हाथ खड़े कर दें या फिर पिछली परीक्षा के नतीजे के आधार पर रिजल्ट घोषित कर दें। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में कह दिया है कि आज की तारीख में परीक्षा मुमकिन नहीं है। इस बीच कोर्ट ने ये भी कहा कि क्या सरकार ये कह सकती है कि बिना परीक्षा के सबको पास किया जाएगा, अगर हम ये मान लें तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी।
UGC ने कोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले में परीक्षा आयोजित करने पर राजनीतिक विरोध कर रही है. मई में महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ पैनल ने भी परीक्षा आयोजित करने की सिफारिश की थी। राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि परीक्षा आयोजित न करें. अधिक से अधिक राज्य सरकार ये कह सकती है कि परीक्षा की तारीख आगे बढ़ा दी जाए।
तमाम दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने सभी पक्षों से तीन दिन के भीतर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है। अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि डिग्री कोर्स के अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द होंगी या नहीं।
Leave a Reply