दिल्ली विधानसभा चुनाव: कौन सी सीटें सुर्खियों में और क्या हैं अहम सवाल?
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। क्या आम आदमी पार्टी (AAP) एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगी, या भारतीय जनता पार्टी (BJP) 27 साल बाद जीत का परचम लहराएगी? इन सवालों के बीच कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला सबसे दिलचस्प है। साथ ही, चुनाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू भी हैं, जिनका जवाब जानना जरूरी है।
दिल्ली में किन पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर?
दिल्ली की राजनीति में पिछले एक दशक से AAP बनाम BJP की सीधी टक्कर रही है। 2013 में पहली बार AAP ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन यह केवल 49 दिनों तक चली।
इसके बाद 2015 और 2020 के चुनावों में AAP ने शानदार जीत दर्ज की। अब 2025 के चुनाव में पार्टी जीत की हैट्रिक पूरी करने की कोशिश में है, जबकि भाजपा 27 साल से जारी हार के सिलसिले को खत्म करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस, जो पिछले 10 सालों से विधानसभा चुनावों में शून्य पर सिमटी है, इस बार वापसी की उम्मीद कर रही है।
नई दिल्ली और कालकाजी सीट क्यों सुर्खियों में?
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प रहा, क्योंकि यहां से सीएम अरविंद केजरीवाल मैदान में थे। उनके खिलाफ BJP के परवेश वर्मा (पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे) और कांग्रेस के संदीप दीक्षित (पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे) चुनाव लड़े।
कालकाजी विधानसभा सीट पर भी बड़ा मुकाबला हुआ, जहां AAP की आतिशी चुनावी मैदान में थीं। उनके सामने BJP के रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की अलका लांबा ने अपनी किस्मत आजमाई।
वोटों की गिनती कैसे होती है?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटों की गिनती की जाती है। विपक्षी दल कई बार इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग का दावा है कि EVM पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी है।
👉 EVM में दो यूनिट होती हैं – कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट।
👉 2010 से VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) मशीन भी जोड़ी गई है, जिससे मतदाता अपने वोट की पुष्टि कर सकते हैं।