भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व.देवीलाल का आज 107वां जन्मदिन है, उन्हें सब ताऊ के नाम से जानते थे और हरियाणा का उन्होंने देशभर में उंचा नाम किया था। आज हरियाणा के लोग उनके पड़पोते और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला में देवीलाल की छवि देखते हैं और यही कारण है कि हरियाणा में गाने भी बने हैं कि- दुष्यंत के रूप मैं दूजा देवीलाल आरया सै। इसलिए आज हम स्व. देवीलाल के अनसुने किस्से उनके दूजे रूप, उनके पड़पोते और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जुबानी लेकर आए हैं। पढिए दुष्यंत चौटाला ने अपने पड़दादा को कैसे याद किया…
दुष्यंत चौटाला बताते हैं कि – आज मेरे पड़दादा और पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल का 107 वां जन्मदिवस है। मुझे उनके साथ लम्बा समय बिताने का सौभाग्य भले ही नहीं मिला लेकिन बचपन उन्हीं की गोदी में बिता था। जब मैं छोटा था तो वो राजनीति के कार्यों से जब भी फ्री होते थे तो मुझे गोदी में बिठा कर हमेशा एक ही बात कहते थे कि कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना। मुझे आज भी यह है एक बात जो वो हमेशा बताते थे। उन्होंने बताया था कि कैसे उनके पूर्वजों चौ. लाला राम, जस्सा राम, तेजा राम, आशा राम, तारू राम व ने 18वीं और 19वीं सदी में अनेकों पीड़ाओं को सहन किया, किन्तु कभी भी अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया। यही कारण था कि उन्होंने बीकानेर स्टेट की ‘नोकहा’ में अपनी विरासत को छोड़कर तेजा खेड़ा व चौटाला में जमींन लेकर सैद्धांतिक रूप से अपनी शर्तों पर जीवन यापन करना स्वीकार किया। जब वो छोटी अवस्था के थे, तो उनकी माता सुगनो देवी का देहांत हो गया। ऐसे में बचपन में ही वो अपने निर्णय खुद ही लेने लगे। तत्कालीन पंजाब के बादल गांव के अखाड़े में पहलवानी का शौक पूरा करने के लिए जोर-अजमाईश करने लगे, वहां भी बात न बनी तो छोटे किसानों, मुज़ारों, गरीब परिवारों के नौजवानों को इकट्ठा कर गांव में ही भारतमाता के जयकारों के नारे लगवाने लगे। इसलिए उन्हें चौटाला गांव के कांग्रेस पार्टी के कार्यालय से महज 16 वर्ष की उम्र में ही गिरफ्तार कर लिया गया। 4 जनवरी 1931 को उन्हें लाहौर की बोस्टल जेल में भेज दिया गया। वहां पर उनकी मुलाकात सरदार भगत सिंह, दुनीचन्द, जीवन लाल कपूर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से हुई। वहां एक बार उन्होंने अंग्रेज जेलर की गर्दन पकड़कर कहा- ‘पहले यह खाना तुम खाकर दिखाओ, फिर हम खाएंगे’। अपने संघर्ष भरे जीवन में उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन सिद्धांतों से नहीं हिले।
स्व. उप प्रधानमंत्री चौ.देवीलाल का पूरा परिवार.
दुष्यंत चौटाला बताते हैं कि – 1952 में सिरसा से उन्होंने पहला असेम्बली चुनाव जीता। अपने चुनाव की जीत का समाचार जब अपने पिता को देने चौटाला गांव पहुंचे तो उनको पिता की मृत्यु का दु:खद समाचार मिला। फिर प्रताप सिंह कैरो के साथ मित्रता का हाथ बढ़ाया और पूरे हरियाणा क्षेत्र में उनकी जनसभाएं करवाई। जनता ने उन्हें को इस अभियान में 43 हजार रुपए की थैली भेंट की, लेकिन उन्होंने यह थैली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुरमुख सिंह मुसाफिर को सौंप दी।
पंजाब से हरियाणा को अलग राज्य बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। 25 जून 1977 में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 1989 में लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में पुरे भारत के नेता एकजुट हुए और नौंवी लोकसभा में राष्ट्रीय मोर्चा को बहुमत मिला। वे स्वयं सीकर और रोहतक से सांसद बनें। सभी सांसदों ने उन्हें सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना। उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापित कर त्याग का परिचय देते हुए कहा कि ‘मैं हरियाणा में ताऊ कहलाता हूं, यहां भी ताऊ ही रहना चाहता हूं’ और मैं अपना नाम प्रधानमंत्री पद से वापिस लेता हूं। 2 दिसम्बर 1989 को वो भारत के उपप्रधानमंत्री बने। – दुष्यंत चौटाला, स्व. देवीलाल के पड़पौते.
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