NHRC अध्यक्ष की नियुक्ति पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, चयन प्रक्रिया पर पारदर्शिता न होने का लगाया आरोप
कांग्रेस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पर असहमति जताई है। पार्टी का कहना है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और परामर्श का अभाव था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी ने चयन समिति की प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण और पूर्वनिर्धारित करार दिया है।
राहुल और खरगे ने सुझाए थे नाम
चयन प्रक्रिया के दौरान राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस केएम जोसेफ के नाम सुझाए थे। हालांकि, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन को NHRC का अध्यक्ष चुना। कांग्रेस ने इस फैसले को पक्षपातपूर्ण बताते हुए क्षेत्रीय, धार्मिक और जातिगत संतुलन की अनदेखी का आरोप लगाया।
कांग्रेस का विरोध और आरोप
कांग्रेस ने दावा किया कि चयन प्रक्रिया में उनके सुझावों को नजरअंदाज किया गया। पार्टी ने कहा कि यह नियुक्तियां सरकार की मंशा और दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। जस्टिस अकील अब्दुल हमीद कुरैशी और जस्टिस एस मुरलीधर जैसे अनुभवी न्यायाधीशों के नाम प्रस्तावित किए जाने के बावजूद, उनकी अनदेखी की गई।
चयन प्रक्रिया और कमेटी की संरचना
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति करती है। इस समिति में लोकसभा स्पीकर, गृह मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के नेता विपक्ष, और राज्यसभा के उपसभापति शामिल होते हैं। चयन समिति की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस या रिटायर्ड जज की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
18 दिसंबर को हुई हाई पावर समिति की बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल हुए थे। लेकिन कांग्रेस ने कहा कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों को गंभीरता से नहीं लिया गया।
नए अध्यक्ष और सदस्य
राष्ट्रपति ने सोमवार को NHRC के नए पैनल की नियुक्ति को मंजूरी दी। जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन को NHRC का अध्यक्ष, जबकि प्रियांक कानूनगो और जस्टिस विद्युत रंजन सारंगी को सदस्य नियुक्त किया गया।
- जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज।
- प्रियांक कानूनगो: पूर्व में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष।
- जस्टिस विद्युत रंजन सारंगी: एक अनुभवी न्यायाधीश।
NHRC की संरचना और भूमिका
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक केंद्रीय संस्था है, जिसका उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा और उनका प्रचार करना है।
- अध्यक्ष का कार्यकाल 5 साल का होता है।
- आयोग में एक अध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं।
- महिला सदस्य की नियुक्ति अनिवार्य है।