भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन को एक और सफलता मिली है। चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पथ प्रदर्शक की तरह काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने एक बयान जारी कर बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत चांद की जमीन पर उतरे लैंडर के साथ एक लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) भी चांद पर भेजा गया था। अब इस उपकरण की मदद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के एलआरओ (Lunar Reconnaissance Orbiter) ने लेजर रेंज का मापन कर लिया है।
एलआरओ, नासा का ऑर्बिटर है, जो चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। इस एलआरओ ने ही चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगे एलआरए से मिले सिग्नल लेकर लेजर रेंज का मापन किया। इसरो ने बताया कि मापन का काम 12 दिसंबर 2023 को किया गया था। इसरो ने बताया कि एलआरओ ने रात के समय यह मापन किया, जब वह चंद्रयान-3 के लैंडर वाली जगह से पूर्व की तरफ बढ़ रहा था।
इस मापन की मदद से चांद पर जाने वाले मिशनों को काफी फायदा होगा। इस मापन से चांद के दक्षिणी ध्रुव की दूरी और उसकी स्थिति का पता चल जाएगा। इससे आने वाले समय में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजे जाने वाले मिशनों को बेहतर तरीके से लैंड करने में मदद मिलेगी।
चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगे लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे को नासा ने विकसित किया है। इस उपकरण को अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत चंद्रयान-3 के साथ चांद पर भेजा गया था। इस उपकरण की मदद से चांद की सतह पर दूरी और स्थिति का सटीक मापन किया जा सकता है।
चंद्रयान-3 के लैंडर का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पथ प्रदर्शक बनना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक प्रमुख शक्ति बन रहा है।
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