‘बॉन्डिंग सेशन’: रेस्क्यू बच्चों को परिवार से मिलाने की नई पहल तेलंगाना में

‘बॉन्डिंग सेशन’: रेस्क्यू बच्चों को परिवार से मिलाने की नई पहल तेलंगाना में

तेलंगाना में चाइल्ड ट्रैफिकिंग से बचाए गए बच्चों को उनके अवैध रूप से गोद लिए गए माता-पिता के पास वापस भेजने के लिए एक नई प्रक्रिया अपनाई जा रही है। तेलंगाना हाईकोर्ट के निर्देश पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) ने ‘बॉन्डिंग सेशन’ नामक योजना की शुरुआत की है।

क्या है बॉन्डिंग सेशन?

रेस्क्यू किए गए बच्चों और उनके अवैध रूप से गोद लेने वाले माता-पिता को एक कमरे में रखा जाएगा। इस दौरान अधिकारियों द्वारा उनके बीच के भावनात्मक संबंधों का निरीक्षण किया जाएगा। यदि अधिकारी इन संबंधों को स्वाभाविक और भावनात्मक रूप से गहरा मानते हैं, तो बच्चों को उनके पास भेज दिया जाएगा।

मामले की पृष्ठभूमि:

  • रेस्क्यू ऑपरेशन: 6 महीने पहले दिल्ली और पुणे में चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग का पर्दाफाश किया गया। इस ऑपरेशन में 7 महीने से 4 साल के 15 बच्चों को रेस्क्यू किया गया।
  • अवैध गोद लेना: जांच में पाया गया कि कई कपल्स ने बच्चों को 5 से 8 लाख रुपये देकर अवैध रूप से गोद लिया।
  • हाईकोर्ट का आदेश: हाईकोर्ट ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को इन बच्चों के भविष्य पर निर्णय लेने का अधिकार दिया।

अधिकारियों का मानवीय दृष्टिकोण:

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए यह निर्णय लिया है। कमेटी के एक सदस्य ने कहा,

“यह कदम बच्चों के बेहतर भविष्य और उनके मौजूदा परिवार से संबंध बनाए रखने के लिए उठाया गया है।”

Exit mobile version