दिल्ली में दिवाली के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना है। यह भारत में पहली बार नहीं है जब कृत्रिम बारिश कराई जा रही है। इससे पहले भी कई राज्यों में कृत्रिम बारिश कराई जा चुकी है।
भारत में कृत्रिम बारिश का इतिहास
भारत में कृत्रिम बारिश का पहला प्रयोग 1951 में किया गया था। तब टाटा फर्म ने वेस्टर्न घाट में कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास किया था। इसके बाद भी कई बार भारत में कृत्रिम बारिश कराई गई है।
दिल्ली में कृत्रिम बारिश के लिए क्या किया जाएगा?
दिल्ली में कृत्रिम बारिश के लिए विमानों से सिल्वर आयोडाइड को बादलों में छिड़का जाएगा। सिल्वर आयोडाइड बादलों में मौजूद जलवाष्प को संघनित करने में मदद करेगा, जिससे बारिश होने की संभावना बढ़ जाएगी।
दिल्ली में कृत्रिम बारिश के फायदे
दिल्ली में कृत्रिम बारिश के कई फायदे हो सकते हैं। इससे दिवाली के दौरान प्रदूषण कम होने की उम्मीद है। इसके अलावा, कृत्रिम बारिश से सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति में भी सुधार हो सकता है।
भारत के अन्य राज्यों में कब-कब कराई जा चुकी है क्लाउड सीडिंग?
भारत में कृत्रिम बारिश कराने के लिए कई राज्यों ने क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया है। इनमें शामिल हैं:
- तमिलनाडु: तमिलनाडु में 1983, 1984, 1993 और 1994 में कृत्रिम बारिश कराई गई थी।
- कर्नाटक: कर्नाटक में 2003 और 2004 में कृत्रिम बारिश कराई गई थी।
- आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में 2008 में कृत्रिम बारिश कराई गई थी।
- महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में 2009 में कृत्रिम बारिश कराई गई थी।
- गुजरात: गुजरात में 2014 में कृत्रिम बारिश कराई गई थी।
भारत में कृत्रिम बारिश अभी भी एक नई तकनीक है। इस तकनीक के बारे में अभी भी कई शोध किए जा रहे हैं।
Leave a Reply