अजमेर दरगाह सर्वेक्षण: ‘सभ्यतागत विरासत पर वैचारिक हमला’, पूर्व अधिकारियों की पीएम मोदी से अपील

अजमेर दरगाह सर्वेक्षण: ‘सभ्यतागत विरासत पर वैचारिक हमला’, पूर्व अधिकारियों की पीएम मोदी से अपील

अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण को लेकर स्थानीय अदालत द्वारा दिए गए आदेश के बाद पूर्व नौकरशाहों और राजनयिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने देश की सभ्यतागत विरासत को वैचारिक हमलों से बचाने के लिए पीएम मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे हमले न केवल भारत के सांस्कृतिक मूल्यों पर प्रभाव डालते हैं, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव को भी खतरे में डालते हैं।

पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग

पूर्व अधिकारियों और राजनयिकों के इस समूह में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, भारतीय सेना के पूर्व उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह, आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर रवि वीरा गुप्ता और भारत के पूर्व उच्चायुक्त शिव मुखर्जी शामिल हैं।

इन अधिकारियों ने कहा कि अदालतों द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद ऐसे मामलों पर जल्दबाजी में कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने अजमेर शरीफ दरगाह पर हिंदू सेना द्वारा किए गए दावे का उल्लेख किया, जिसमें इसे महादेव मंदिर बताया गया है। अदालत ने इसे सुनवाई योग्य मानते हुए नोटिस जारी किया है।

वैचारिक हमले और सभ्यतागत संकट

पूर्व अधिकारियों ने लिखा कि विशिष्ट पूजा स्थलों पर वैचारिक हमले देश की सभ्यतागत विरासत पर चोट पहुंचा रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे मुद्दे समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाते हैं और एक विकसित भारत के सपने को कमजोर करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बीते समय में धार्मिक और सांप्रदायिक विवादों के कारण कई निर्दोष लोग हिंसा के शिकार हुए हैं। इसमें मुस्लिम व्यापारिक प्रतिष्ठानों का बहिष्कार, आवास देने से इनकार और उनके घरों पर बुलडोजर चलाने जैसी घटनाएं शामिल हैं। इससे लाखों लोग प्रभावित हुए और कई बेघर हो गए।

पुरातात्विक सर्वेक्षण की बढ़ती मांग

समूह ने चिट्ठी में उल्लेख किया कि हाल ही में हिंदू संगठनों द्वारा कई मध्ययुगीन मस्जिदों और दरगाहों पर पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग बढ़ी है। इसे धार्मिक स्थलों पर हमला बताते हुए उन्होंने पीएम मोदी से सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने का आग्रह किया।

 

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