Kisan Andolan LIVE: दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। इसी बीच जींद बॉर्डर पर पंजाब के किसानों ने हंगामा कर दिया है। यहां पुलिस के साथ किसानों की झड़प हुई है। पुलिस ने किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस को गोले छोड़े हैं। साथ ही वाटर कैनन का इस्तेमाल किया है।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से कही ये बात
किसानों के दिल्ली कूच मामले पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। किसान आंदोलन पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील ने कहा प्रदर्शन से पहले दिल्ली सरकार से इजाजत लेनी चाहिए थी, इनके इरादे ठीक नहीं हैं। इस पर जज ने पूछा, किसान तो सिर्फ आपके रास्ते से गुजर रहे हैं तो आप उनका रास्ता कैसे रोक सकते हैं?
दिल्ली के वकील ने याचिका दायर कर बॉर्डर बंद करने और इंटरनेट पर रोक को चुनौती दी है। वकील उदय प्रताप ने कहा कि किसानों को शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करना है।
इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगते बॉर्डर सील कर दिए। इसके अलावा 15 जिलों में धारा 144 लगाई गई है। 7 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
उन्होंने दलील दी कि बॉर्डर बंद करने और मोबाइल इंटरनेट, SMS बंद किए जाने से एक तरफ किसानों के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन किया जा रहा है तो दूसरी तरफ आम लोगों को भी परेशान किया जा रहा है। अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी।
जब MSP तय है तो किसानों को किस बात का डर?
एमएसपी तय करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाता है कि किसानों को उनकी लागत का कम से कम 50 फीसदी मुनाफा हो जाए। लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है।
कई बार किसानों को मजबूरीवश एमएसपी से कम कीमत पर फसल बेचनी पड़ती है. क्योंकि एमएसपी सिर्फ एक पॉलिसी है, कानून नहीं. ऐसे में किसान अदालत में जाकर अपना हक भी नहीं सकते।
23 फसलों में से गन्ने पर ही कुछ हद तक कानूनी पाबंदी लागू होती है. एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के अनुसार, गन्ने पर उचित कीमत देना जरूरी है।
किसानों को डर है कि सरकार जब चाहें एमएसपी का सिस्टम खत्म कर सकती है क्योंकि ये सिर्फ एक पॉलिसी है। 2014 में बनी शांता कुमार कमेटी के मुताबिक छह फीसदी किसानों को ही एमएसपी का फायदा मिल सका है।
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