संसद के शीतकालीन सत्र में गौतम अदाणी से जुड़े मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के चलते बुधवार को भी कार्यवाही बाधित रही। राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में स्थगन प्रस्तावों की बाढ़ और विपक्ष के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उच्च सदन की गरिमा बनाए रखना सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है।
स्थगन प्रस्तावों की अभूतपूर्व संख्या पर जताई चिंता
बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने कई स्थगन प्रस्ताव पेश किए। इस पर सभापति धनखड़ ने कहा, “पिछले 30 वर्षों में कभी भी स्थगन प्रस्तावों की संख्या इतनी अधिक नहीं रही है। सदन की स्थापित परंपराओं का पालन और सभापति के फैसले का सम्मान होना चाहिए।”
धनखड़ ने किसी भी स्थगन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने विरोध शुरू कर दिया। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष ने उठाए ये मुद्दे
आम आदमी पार्टी के सांसद ने दिल्ली में कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराधों पर चर्चा की मांग की। वहीं, कांग्रेस और अन्य दलों ने मणिपुर हिंसा और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई घटना पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया।
विपक्ष का कहना था कि सदन के अन्य कार्यों को रोककर इन ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की जाए। सरकार ने विपक्ष पर मुद्दों को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया।
क्या है स्थगन प्रस्ताव?
स्थगन प्रस्ताव संसदीय प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व के तत्काल मुद्दों पर चर्चा करना होता है। इस प्रस्ताव के जरिए सदन की सामान्य कार्यवाही को स्थगित कर उस विशेष मुद्दे पर बहस की जाती है।
इस सत्र में विपक्ष अदाणी मामले और संभल हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहा है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष इसे केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए उठा रहा है।