सियाचिन, कारगिल और गलवान युद्ध क्षेत्र में घूमने का मिलेगा मौका, सेना ने बनाई खास योजना

Rajiv Kumar

सियाचिन, कारगिल और गलवान युद्ध क्षेत्र में घूमने का मिलेगा मौका, सेना ने बनाई खास योजना

पर्यटक अब सियाचिन ग्लेशियर, कारगिल, और गलवान घाटी जैसे दुर्गम और ऐतिहासिक युद्ध क्षेत्रों में घूम सकेंगे। भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि इन क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग, ज़िपलाइन और अन्य एडवेंचर गतिविधियां शुरू करने की योजना है, ताकि लोग इन दुर्गम इलाकों का रोमांचक अनुभव ले सकें।

जम्मू-कश्मीर: आतंकवाद से पर्यटन की ओर बदलाव

पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में आयोजित एक व्याख्यान में जनरल द्विवेदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर अब आतंकवाद से पर्यटन (Terrorism to Tourism) की दिशा में तेजी से बदल रहा है। यह बदलाव सेना के प्रयासों की बदौलत संभव हुआ है।

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 48 विशेष क्षेत्रों की पहचान की गई है। सेना का लक्ष्य अगले पांच साल में इन इलाकों में पर्यटकों की संख्या दोगुनी करना है।

सियाचिन ग्लेशियर पर ट्रैकिंग और एडवेंचर गतिविधियां

  • सियाचिन ग्लेशियर, जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा और ठंडा युद्ध क्षेत्र माना जाता है, अब आम पर्यटकों के लिए खोला जाएगा।
  • सेना ट्रांस-हिमालयन ट्रेक और उत्तराखंड में ‘सोल ऑफ स्टील’ ट्रेक की तर्ज पर सियाचिन ट्रेकिंग की शुरुआत करेगी।
  • कारगिल और गलवान युद्ध क्षेत्रों को भी पर्यटन के लिए खोला जाएगा, ताकि लोग ऐतिहासिक लड़ाई के मैदानों का अनुभव कर सकें।

स्थानीय लोगों को मिलेगा फायदा

पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही सेना स्थानीय युवाओं को एडवेंचर गतिविधियों और टूरिज्म मैनेजमेंट का प्रशिक्षण देगी।

  • सेना स्थानीय टूर ऑपरेटरों को भी विशेष ट्रेनिंग देकर सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को विकसित करने में मदद करेगी।
  • पर्वतारोहण और अन्य एडवेंचर गतिविधियों में स्थानीय युवाओं को शामिल किया जाएगा।

ऐतिहासिक महत्व वाले क्षेत्रों में पर्यटन

  1. सियाचिन ग्लेशियर: लद्दाख के कराकोरम पर्वत श्रृंखला में स्थित, यह ग्लेशियर दुनिया के सबसे ठंडे युद्ध क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
  2. कारगिल: 1999 में भारत-पाकिस्तान युद्ध का स्थल, जो भारतीय सैनिकों की वीरता का प्रतीक है।
  3. गलवान घाटी: 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुए संघर्ष का गवाह।

 

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