सुप्रीम कोर्ट: मंदिर प्रसाद की गुणवत्ता जांच पर याचिका खारिज, कहा- यह राज्य का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मंदिरों में वितरित प्रसाद की गुणवत्ता की जांच के लिए नियम बनाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि यह मामला अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और इसे राज्य के संबंधित प्राधिकरण को सौंपा जा सकता है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
- अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिका में उठाई गई मांग राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है।
- याचिकाकर्ता को सलाह दी गई कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए उचित प्राधिकरण को आवेदन कर सकता है।
- अदालत ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को मंदिर प्रसाद से जुड़ी कोई विशेष शिकायत है, तो वह संबंधित उच्च न्यायालय में मामला दर्ज कर सकता है।
याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यह याचिका किसी प्रचार के लिए नहीं, बल्कि इसलिए दायर की गई है क्योंकि कई मंदिरों में वितरित प्रसाद खाने के बाद लोग बीमार हो रहे हैं। वकील ने कहा कि मंदिरों की गलती नहीं है क्योंकि उनके पास गुणवत्ता जांचने के साधन नहीं हैं।
कोर्ट की टिप्पणी
- अदालत ने सवाल किया कि केवल मंदिर प्रसाद के लिए ही यह मांग क्यों? होटलों में परोसे जाने वाले भोजन या किराने की दुकानों पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों में भी मिलावट हो सकती है।
- अदालत ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को कार्यपालिका के सीमित अधिकार क्षेत्र पर टिप्पणी की थी, और इसी संदर्भ में न्यायपालिका भी अपनी सीमा का पालन कर रही है।
खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण का जिक्र
याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया कि खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता प्राधिकरण (FSSAI) को इस मामले में गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है, ताकि मंदिर प्रसाद और अन्य खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच हो सके।