भविष्य की भू-राजनीति में सेमीकंडक्टर का बढ़ेगा प्रभाव: जयशंकर ने भारत-जापान साझेदारी पर दिया जोर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सेमीकंडक्टर तकनीक की बढ़ती अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि आने वाले समय में यह भू-राजनीति के केंद्र में रहेगा। नई दिल्ली में आयोजित भारत-जापान फोरम के उद्घाटन सत्र में उन्होंने इस क्षेत्र में भारत और जापान के बीच संभावनाओं और सहयोग पर चर्चा की। जयशंकर ने ताइवान के साथ मिलकर इस दिशा में काम करने को “महत्वपूर्ण शुरुआत” करार दिया।
सेमीकंडक्टर में भारत-जापान का सहयोग
जयशंकर ने कहा कि जापान अपने सेमीकंडक्टर क्षेत्र को पुनर्जीवित कर रहा है, जबकि भारत सेमीकंडक्टर मिशन पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया, “सेमीकंडक्टर क्षेत्र आने वाले दशक में भू-राजनीति का अहम हिस्सा बनेगा। भारत अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार कर रहा है, जिससे इस क्षेत्र में गुणवत्ता और सहयोग बढ़ेगा।”
भारत-जापान के रिश्तों में नई संभावनाएं
विदेश मंत्री ने भारत और जापान के बीच मजबूत संबंधों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कोई बड़ी समस्या नहीं रही है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सभी संभावनाओं का उपयोग हो चुका है। उन्होंने बताया कि भारतीय पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जापान में भारतीय पर्यटकों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। उन्होंने इस दिशा में काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
चीन के साथ रिश्तों पर विचार
जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों का विश्लेषण करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश तो बढ़ा, लेकिन असंतुलित व्यापार हमेशा चुनौती बना रहा। उन्होंने कहा कि भारत-चीन के संबंध सीमा पर शांति के बिना स्थिर नहीं रह सकते।
उन्होंने 2020 में हुई गलवान घाटी झड़प का जिक्र करते हुए बताया कि इसका असर संबंधों पर पड़ा और सेनाओं को पीछे हटने में चार साल से अधिक का समय लग गया। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि “हमें चीन के साथ गंभीर चर्चा करने की आवश्यकता है ताकि रिश्तों को फिर से स्थिरता की ओर ले जाया जा सके।”