रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का नया अध्याय शुरू करने का समय: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को देश के रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि भारत में ही अत्याधुनिक उपकरणों का निर्माण हो। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए बड़े कदम
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए बड़े कदम
राष्ट्रपति ने हैदराबाद स्थित कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (CDM) को राष्ट्रपति का ध्वज प्रदान करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने रक्षा उत्पादन को स्वदेशी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ जैसी योजनाएं रक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव ला रही हैं।
- रक्षा औद्योगिक गलियारों के विकास से भारतीय और विदेशी निवेशकों को रक्षा उत्पादन में निवेश के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
घरेलू उत्पादन पर जोर
घरेलू उत्पादन पर जोर
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अब अपने कई रक्षा उत्पादों का निर्माण घरेलू स्तर पर कर रहा है, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके।
उन्होंने कहा, “यह समय है कि हम तकनीकी रूप से उन्नत उपकरणों का निर्माण कर आत्मनिर्भरता का नया अध्याय शुरू करें।”
नई तकनीकों पर ध्यान
नई तकनीकों पर ध्यान
भारत ने अपनी पारंपरिक सेनाओं को उन्नत करने के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
- ड्रोन
- साइबर युद्धकौशल
- अंतरिक्ष रक्षा तकनीक
राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि भारत के रक्षा बल आत्मनिर्भर भारत के इस दृष्टिकोण को साकार करने में पूरी तरह योगदान देंगे।
वैश्विक स्तर पर भारत की रणनीतिक साझेदारी
वैश्विक स्तर पर भारत की रणनीतिक साझेदारी
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर रणनीतिक रक्षा साझेदारी विकसित कर रहा है।
- इससे भारत का प्रभाव वैश्विक रक्षा चर्चाओं में बढ़ रहा है।
- भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक शांति और स्थिरता में भी योगदान दे रहा है।
भारतीय रक्षा क्षेत्र को नई चुनौतियों के लिए तैयार करने की जरूरत
भारतीय रक्षा क्षेत्र को नई चुनौतियों के लिए तैयार करने की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय रक्षा क्षेत्र को समय के साथ बदलते सुरक्षा परिदृश्य के अनुसार विकसित और अनुकूलित होना चाहिए।
- सशस्त्र बलों को नई तकनीकों के साथ अद्यतन रहना होगा।
- बदलती सुरक्षा स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना जरूरी है।