वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासी घमासान, सरकार-विपक्ष आमने-सामने

Rajiv Kumar

वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासी घमासान, सरकार-विपक्ष आमने-सामने

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को बुधवार को बैठक में स्वीकार कर लिया गया। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने अंतिम बैठक की अध्यक्षता की, जिसके बाद अब विपक्षी सांसद अपनी असहमति का नोट दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।

सरकार की सफलता या विपक्ष की अनदेखी?

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा लोकसभा में पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और नियमन लाना है। भाजपा सांसदों ने इसे महत्वपूर्ण सुधार बताया, जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि उनकी बातों को अनदेखा कर दिया गया।

भाजपा सांसदों की राय:

  • राधा मोहन दास अग्रवाल: “रिपोर्ट को 14 के मुकाबले 11 मतों से स्वीकृति मिली है। विपक्ष का विरोध करना उनकी आदत में शामिल है।”
  • तेजस्वी सूर्या: “विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। इससे भूमि पर अवैध कब्जे की प्रवृत्ति रुकेगी।”
  • जगदंबिका पाल: “मसौदा रिपोर्ट को बहुमत से पास कर दिया गया है, अब इसे लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश किया जाएगा।”

विपक्ष का कड़ा विरोध

  • असदुद्दीन ओवैसी: “हमें 655 पन्नों की रिपोर्ट रात में मिली, पढ़ना असंभव था। मैं संसद में भी विधेयक का विरोध करूंगा।”
  • डॉ. सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस): “सरकार ने मनमाने तरीके से रिपोर्ट तैयार की, जिससे अल्पसंख्यकों के अधिकारों को चोट पहुंचेगी।”
  • अरविंद सावंत (शिवसेना UBT): “संशोधन संविधान विरोधी हैं, इसलिए हमने असहमति नोट दिया है।”
  • ए. राजा (द्रमुक): “मसौदा रिपोर्ट जल्दबाजी में तैयार की गई। हमें रात में रिपोर्ट मिली, इतनी जल्दी असहमति कैसे जताते?”
  • संजय राउत (AAP): “हमने जेपीसी अध्यक्ष को अपने विचार दे दिए हैं, इस पर मीडिया में चर्चा नहीं की जा सकती।”
  • कल्याण बनर्जी (TMC): “जेपीसी की कार्यवाही अब मज़ाक बनकर रह गई है, हमारी राय को नजरअंदाज किया गया।”

 

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