Panipat : बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री की बोल पर विवाद, कहा- ‘मेरे पागलो, पानीपत के पागलों’

  • किसान यूनियन बोलीमाफी मांगो वर्ना केस दर्ज कराएंगे
भारतीय किसान यूनियन की पानीपत इकाई ने प्रेस कान्फ्रेंस कर अपनी आपत्ति दर्ज करवाई।

पानीपत : मध्यप्रदेश स्थित बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री का हरियाणा दौरा विवादों में घिर गया है। उनकी भाषा पर पानीपत के किसान भड़क गए हैं। उन्होंने पंडित शास्त्री को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए माफी मांगने को कहा है। भारतीय किसान यूनियन से जुड़े पानीपत किसान भवन संगठन के प्रधान सूरजभान ने कहा कि अगर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने तय टाइम में माफी न मांगी तो उनके खिलाफ भावनाएं आहत करने का केस दर्ज कराएंगे। उनके खिलाफ पुलिस को शिकायत की जाएगी और कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी।

बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री रविवार रात को पानीपत में श्रीराम कथा में हिस्सा लेने आए थे। यहां हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। इस दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने माइक पकड़ते हुए कहा- ”मेरे पागलो, पानीपत के पागलों”। इसी बात से किसान भड़के हुए हैं।

क्या कहा था धीरेंद्र शास्त्री ने : बागेश्वर धाम सरकार के धीरेंद्र शास्त्री जब पानीपत में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो यहां लोगों की भीड़ बहुत ज्यादा होने की वजह उनकी गाड़ी मंच तक नहीं पहुंच पाई थी। गाड़ी मुड़ नहीं रही थी। इसीलिए धीरेंद्र शास्त्री ने यही पर माइक लेकर कहा था कि अरे मेरे पानीपत के पागलो, मुझे ये पता होता कि तुम यहां इतनी देर से इंतजार कर रहे हो, तो मैं और समय से आने की कोशिश करता। लेकिन, मैं समय पर ही निकला था। रास्ते भर में पानीपत के पागलो ने इतनी जगह पर ठहराव करवाया कि मुझे यहां तक आने में देरी हुई।

इसके बाद वे मंच तक पहुंचे, यहां गद्दी पर बैठने के बाद उन्होंने कहा कि पानीपत के पागलो की जय। दिन के 12 बजे से जो बैठे है और आस लगा रहे है कि गुरू जी अब आ रहे है, अब आ रहे है, उन पगलन की भी जय। भारत हिंदू राष्ट्र की जय। जो मंच पर जबरदस्ती चढ़ आए, उनकी भी जय। जो फोटो खींचने चले आए, उनकी भी जय हो। कहो, पानीपत के पागलो, कैसे हो। बढ़िया हो।

धीरेंद्र बोलेरामलला गए, अब ज्ञानवापी में अभिषेक होगा : पानीपत में श्रीराम कथा में पहुंचे धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ‘ज्ञानवापी में नंदी-बाबा निकल आए। अब वहां अभिषेक होना है। देखो अयोध्या में रामलला तो आ गए। त्रेता युग तो आ चुका। त्रेता के बाद आता है द्वापर। अब अपन को कृष्ण कन्हैयालाल की माखन-मिश्री खाने भी चलना है।’

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