पाकिस्तान: अदालत का आदेश, खुफिया एजेंसियों को न्याय में दखल नहीं! खैबर पख्तूनख्वा में मजदूरों का अपहरण
पाकिस्तान की एक अदालत ने शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के तहत, देश की सभी खुफिया एजेंसियों, खासकर इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) को यह आदेश दिया गया है कि वे किसी भी न्यायाधीश या उनके स्टाफ सदस्य से संपर्क न करें। यह आदेश मनचाहे फैसले हासिल करने के लिए इन एजेंसियों द्वारा न्यायाधीशों पर डाले जा रहे दबाव को रोकने के लिए जारी किए गए हैं।
न्यायाधीशों पर दबाव के आरोप:
सूत्रों के अनुसार, आईएसआई, एमआई और आईबी पर आरोप है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी के नेताओं और समर्थकों के मामलों में न्यायाधीशों पर दबाव डाल रहे थे। इन एजेंसियों पर न्यायाधीशों को धमकाने और उनके परिवारों को परेशान करने का भी आरोप है।
इस्लामाबाद और लाहौर उच्च न्यायालयों ने उठाई आवाज:
इस मामले को लेकर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएससी) के आठ में से छह न्यायाधीशों और पंजाब में आतंकवाद रोधी अदालतों के कुछ न्यायाधीशों ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) और लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर न्यायिक मामलों में खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप की ओर ध्यान खींचा था। कुछ न्यायाधीशों ने यह भी शिकायत की थी कि उन पर दबाव डालने के लिए उनके परिवारों के सदस्यों को उठा लिया गया था।
लाहौर उच्च न्यायालय ने दिए सख्त निर्देश:
इन शिकायतों के बाद लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शाहिद करीम ने शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय को निर्देश जारी किए। ये निर्देश पंजाब के सरगोधा जिले के एक आतंकवाद रोधी अदालत के न्यायाधीश की शिकायत पर जारी किए गए थे, जिन्होंने आईएसआई के कर्मियों द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया था।