Rohini Acharya Criticizes Nitish Kumar’s Remarks
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन, नीतीश कुमार आरक्षण पर भाषण देते हुए राजद की महिला विधायक रेखा कुमारी पर भड़क गए। उनके बयान “अरे तुम महिला हो, कुछ जानती भी हो?” पर राजद नेत्री रोहिणी आचार्य ने तीखा हमला किया।
रोहिणी आचार्य का तीखा जवाब
रोहिणी आचार्य ने एक्स हैंडल पर लिखा, “डर लगता है… आंख की गोटी बाहर निकालकर चीखने-चिल्लाने के चक्कर में दिमाग की नस न फट जाए कहीं किसी दिन मौकापरस्ती के शहंशाह की… बढ़ती उम्र के साथ-साथ दौरे पड़ने का सिलसिला भी बढ़ता जा रहा है।”
डर लगता है .. ” आँख की गोटी बाहर निकाल कर चीखने – चिल्लाने के चक्कर में दिमाग की नस न फट जाए कहीं किसी दिन मौकापरस्ती के शहंशाह की ” .. बढ़ती उम्र के साथ – साथ दौरे पड़ने का सिलसिला भी बढ़ता जा रहा है ..
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) July 24, 2024
मानसिक-चिकित्सक की जरूरत
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा, “स्व-महिमामंडित व सिर्फ और सिर्फ स्वहित, स्वार्थ-संक्रमित अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने वाली एक अनैतिक सत्तालोलुप शख्सियत को एक अनुसूचित जाति की माननीया विधायिका का वाजिब बोलना नागवार गुजरा और फिर जिस लहजे में पद व सदन की गरिमा को ताक पर रखते हुए माननीय विधायिका को संबोधित किया गया, उसे अगर कोई जायज ठहरता है, तो उसे तत्काल मानसिक-चिकित्सक के परामर्श की जरूरत है।”
महिलाओं पर अभद्र टिप्पणियों की परिपाटी
रोहिणी आचार्य ने आगे लिखा, “ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है, अनैतिक सत्ताधारी गठबंधन के शीर्ष के लोगों द्वारा महिलाओं के बारे में अभद्र-अमर्यादित टिप्पणियों-बयानों की एक परिपाटी ही बना दी गई है। ऐसे बयानों की लंबी लिस्ट है, जिनसे बिहार के साथ-साथ सदन की गरिमा भी तार-तार हुई है।”
महिलाओं के सम्मान की बात
उन्होंने लिखा, “महिलाओं के ज्ञान को कमतर आंकने वालों, नारी-अस्मिता की कद्र नहीं करने वालों के हाथों में माता जानकी की जन्मस्थली बिहार की कमान है, इससे ज्यादा अफसोस और दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है।”
जहरीले नाग की तुलना
रोहिणी आचार्य ने कहा, “जिन लोगों के संरक्षण में, जिनकी सरपरस्ती में मुजफ्फरपुर – महापाप को अंजाम दिया गया, मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाए जाने जैसे कुकृत्य पर जिनके मुंह से निंदा-भर्त्सना का एक शब्द नहीं निकला, उनसे/उससे महिला-सम्मान की अपेक्षा रखना जहरीले नाग को जेब में रख कर नहीं डसे जाने के प्रति आश्वस्त होने जैसा है।”