Nestle Controversy: इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप के मुकाबले भारत सहित एशियाई-अफ्रीकी देशों में बिक रहे सेरेलेक की क्वालिटी में अंतर है। यूरोपीय देशों में शिशु के एक बार खाए जाने लायक सेरेलेक की मात्रा में 7.5 ग्राम चीनी होती है,
जबकि एशियाई-अफ्रीकी देशों में एक चम्मच सेरेलेक में ही 4 ग्राम शुगर है। WHO के मुताबिक हाई शुगर प्रोडक्ट से शिशुओं में मोटापे सहित गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
ब्राजील में संघीय विश्वविद्यालय पैराइबा के पोषण विभाग में महामारी विज्ञानी और प्रोफेसर रोड्रिगो वियाना ने कहा, “यह बहुत ही चिंता का विषय है। शिशुओं और छोटे बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि यह अनावश्यक और ज्यादा नशे की लत है।
” उन्होंने कहा, “बच्चे मीठे स्वाद के आदी हो जाते हैं और ज्यादा मीठे खाना खाना चाहते हैं, जिससे एक नेगेटिव साइकिल शुरू हो जाती है. इससे बड़े होने पर पोषण-आधारित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, इनमें मोटापा और दूसरी पुरानी गैर-संचारी बीमारियां जैसे शुगर या हाई ब्लड प्रेशर शामिल हैं।”
हालांकि नेस्ले इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे सभी स्थानीय नियमों और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं. वह पिछले पांच सालों में अपने शिशु अनाज रेंज में शुगर को 30% तक कम कर चुके हैं. प्रवक्ता ने लाइवमिंट को बताया, “पिछले पांच सालों में, नेस्ले इंडिया ने अपने शिशु अनाज पोर्टफोलियो (दूध अनाज आधारित पूरक भोजन) में, शुगर को 30% तक कम कर दिया है।”