Koo: भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म 4 साल बाद बंद हो रहा है
भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo, जो खुद को ट्विटर का स्वदेशी विकल्प बताता था, 4 साल के संघर्ष के बाद बंद होने जा रहा है। यह फैसला संभावित अधिग्रहण वार्ता विफल होने और पर्याप्त फंडिंग न मिलने के बाद लिया गया है।
Koo की कहानी:
- 2020 में लॉन्च हुआ Koo, ट्विटर के प्रतिबंध के बाद लोकप्रियता हासिल करने में सफल रहा था।
- इसे टाइगर ग्लोबल और एक्सेल जैसे बड़े निवेशकों से $60 मिलियन से अधिक का फंडिंग मिला था।
- Koo ने हिंदी, अंग्रेजी और कई अन्य भारतीय भाषाओं में माइक्रोब्लॉगिंग सेवाएं प्रदान कीं।
- 2023 में, Koo ने ब्राजील में अपनी सेवाओं का विस्तार किया।
बंद होने की वजह:
- Koo के संस्थापक, अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिद्वतका के अनुसार, “कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों” के साथ अधिग्रहण वार्ता विफल रही।
- उन्होंने कहा कि संभावित साझेदार “यूजर्स द्वारा निर्मित सामग्री और सोशल मीडिया कंपनी की जंगली प्रकृति” से निपटने के लिए तैयार नहीं थे।
- मई 2023 में, Koo ने 30% कर्मचारियों की छंटनी की थी, जो वित्तीय मुश्किलों का संकेत था।
Koo का प्रभाव:
- Koo ने भारत में माइक्रोब्लॉगिंग के लिए एक स्वदेशी विकल्प प्रदान किया।
- इसने हिंदी भाषा में सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ावा दिया।
- Koo ने राजनीतिक बहस और अभिव्यक्ति के लिए एक मंच प्रदान किया।
बंद होने का दुखद पहलू:
- Koo का बंद होना उन उपयोगकर्ताओं के लिए निराशाजनक है जो मंच को पसंद करते थे।
- यह उन कर्मचारियों के लिए भी दुखद है जो अब अपनी नौकरियां खो देंगे।
- यह घटना भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक झटका है।