जयशंकर का बयान: ‘नेहरू मॉडल फेल, 10 साल से सुधारने की कोशिश कर रहे हैं’
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि “नेहरू विकास मॉडल” के साथ-साथ उनकी विदेश नीति भी असफल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार पिछले 10 सालों से इस मॉडल के नतीजों को सुधारने की कोशिश कर रही है। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की पुस्तक ‘द नेहरू डेवलपमेंट मॉडल’ के विमोचन के अवसर पर जयशंकर ने यह बात कही।
‘नेहरू मॉडल से उपजी विदेश नीति में भी खामियां’
‘नेहरू मॉडल से उपजी विदेश नीति में भी खामियां’
जयशंकर ने कहा, “नेहरू विकास मॉडल से ही नेहरू विदेश नीति का निर्माण हुआ। जिस तरह घरेलू स्तर पर इस मॉडल को सुधारने का प्रयास हो रहा है, वैसे ही विदेशों में भी इस नीति को सुधारने की जरूरत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह मॉडल भारत की राजनीति, नौकरशाही, न्यायपालिका, योजना प्रणाली, मीडिया और शिक्षण पद्धति को लंबे समय तक प्रभावित करता रहा है।
रूस और चीन पर टिप्पणी
रूस और चीन पर टिप्पणी
जयशंकर ने रूस और चीन के संदर्भ में कहा कि दोनों देशों ने अब उन आर्थिक धारणाओं को खारिज कर दिया है, जिन्हें नेहरू के समय पर जोर-शोर से अपनाया गया था। इसके बावजूद भारत के प्रभावशाली वर्गों में यह सोच आज भी जीवित है।
उन्होंने कहा, “2014 के बाद से इस सोच में सुधार लाने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह अभी भी एक बड़ी चुनौती है।”
1947 के बयान का उल्लेख
जयशंकर ने अपने भाषण की शुरुआत अमेरिकी नीति निर्माता जॉन फोस्टर डलेस के 1947 के एक बयान का जिक्र करते हुए की। उन्होंने कहा कि डलेस ने उस समय की भारतीय सरकार को लेकर जो धारणा बनाई थी, वह दशकों तक अमेरिकी नीति में सही मानी गई। जयशंकर ने कहा कि वह इस सवाल पर कई बार सोचते रहे और अब उन्हें पनगढ़िया की किताब में इसका उत्तर मिला है।