भारत की रणनीतिक तैयारी: लद्दाख में सैनिकों और गोला-बारूद के भंडारण के लिए बुनियादी ढांचे को मिली मंजूरी
चीन के साथ लंबे समय तक चले सैन्य गतिरोध और बढ़ते तनाव के बीच भारत ने पूर्वी लद्दाख में अपनी रक्षा क्षमताओं को और सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्र सरकार की वन्यजीव समिति ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कई परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी है। इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती और गोला-बारूद की आपूर्ति में तेजी लाना है।
सैनिकों की तैनाती में मिलेगी रफ्तार
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में गोला-बारूद भंडारण सुविधाएं और संचार नेटवर्क का निर्माण शामिल है। यह चांगथांग के ऊंचाई वाले शीत मरुस्थल वन्यजीव अभयारण्य और काराकोरम नुब्रा श्योक वन्यजीव अभयारण्य में होगा। इन सुविधाओं से सेना को तेजी से तैनात करने और रसद आपूर्ति में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
गलवान झड़प के बाद उठाया गया कदम
भारत और चीन के बीच मई 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद शुरू हुए सैन्य गतिरोध को 54 महीनों तक देखा गया। हालांकि, अक्टूबर 2024 में इस गतिरोध का अंत हो गया, लेकिन सीमा पर सुरक्षा को लेकर भारत की सतर्कता बरकरार है।
पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर
यह क्षेत्र दुर्लभ वन्यजीवों का निवास स्थान है। प्रस्तावित परियोजनाएं संरक्षित क्षेत्रों में आती हैं, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 29 के अधीन हैं। सरकार ने रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया है कि इन परियोजनाओं के कारण पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान हो और स्थानीय वन्यजीवों के आवासों को बचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।