असम में मानव तस्करी के एक मामले में 24 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। इनमें बांग्लादेश और म्यांमार के पांच आरोपी भी शामिल हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि आरोपियों पर नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह के रूप में भारत में बांग्लादेशी नागरिकों और म्यांमार के रोहिंग्या लोगों को घुसाने का आरोप है। उन पर पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम समेत कई कानूनों के तहत आरोप लगाए गए हैं।
पिछले साल नवंबर में, राज्य पुलिस और एजेंसियों ने मिलकर त्रिपुरा, असम, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल में 39 स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। दिसंबर में त्रिपुरा में चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद कुल आरोपियों की संख्या 33 हो गई।
एनआईए ने पिछले साल छह अक्टूबर को मामले की जांच अपने हाथ में ली थी।
एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि जांच से पता चला कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी सिंडिकेट त्रिपुरा, असम, पश्चिम बंगाल और भारत-बांग्लादेश सीमा पर सक्रिय थे। वे रोहिंग्या लोगों और बांग्लादेशी नागरिकों की तस्करी कर रहे थे और उन्हें फर्जी भारतीय पहचान दस्तावेज तैयार करके देश के कई हिस्सों में बसने में मदद कर रहे थे।
एनआईए ने कहा कि तस्करी की गई बच्चियों और महिलाओं का कई अन्य तरीकों से शोषण किया गया। यहां तक कि कई रोहिंग्या महिलाओं को शादी के लिए पुरुषों को भी बेचा गया है।
एनआईए ने यह भी कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों ने स्थानीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत नकली या जाली सहायक दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों पर स्थानीय निकायों की मिलीभगत से भारतीय पहचान दस्तावेज बनाए थे।
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