हरियाणा के बहुचर्चित पेंशन घोटाले में सीबीआई ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पेश की है। रिपोर्ट में सभी जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है।
सीबीआई ने रिपोर्ट में बताया कि 2012 में पेंशन वितरण अनियमितताओं के मामले में सरकार ने हाईकोर्ट को उचित कार्यवाही का भरोसा दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि यह कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है।
हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव और महानिदेशक को कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि 2012 से अभी तक सभी समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और महानिदेशक प्रथम दृष्टया कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं।
अभी सिर्फ मौजूदा प्रमुख सचिव और महानिदेशक को कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस जारी किया गया है। 15 मार्च तक उन्हें बताना होगा कि क्यों न सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के लिए कार्यवाही की जाए।
याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने बताया कि सिर्फ कुरुक्षेत्र जिले में एक एफआईआर दर्ज करके सरकार जांच को सिर्फ उसी जिले तक सीमित रखना चाहती है, जबकि CAG रिपोर्ट में पूरे हरियाणा का घोटाला उजागर हुआ था।
2017 में आरटीआई कार्यकर्ता राकेश बैंस ने पूरे हरियाणा में हुए पेंशन घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी।
सीबीआई जांच में पता चला कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने ऐसे व्यक्तियों को भी पेंशन बांट दी जो या तो मर चुके थे या पेंशन लेने की योग्यता ही पूरी नहीं करते थे।
इस प्रकार सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया।
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