शहीद जवान को नम आंखों से विदाई, अब भाई लेगा बदला

चरखी दादरी का गांव बास जहां का भूपेन्द्र चौहान बारामुला में नौगांव हरदोई सेक्टर चौकी की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना का सामना करते हुए शहीद हो गया। उसे ग्रामीणों और सेना ने नम आंखों से विदाई दी।

भूपेन्द्र की आयु केवल 23 वर्ष थी। 327 आरपी रेजीमेंट के गनर भूपेंद्र सिंह पर शनिवार सुबह पाकिस्तान की तरफ से मोर्टार बंब फेंक कर हमला किया था। जिसमें भूपेंद्र चौहान शहीद हो गए थे। अब सैंकड़ों बाइकों पर युवाओं के जत्थे द्वारा निकाली तिरंगा यात्रा के साथ ही सेना के जवान शहीद का पार्थिव शरीर गांव लेकर पहुंचे। जहां जब तक सूरज चांद रहेगा-भूपेंद्र चौहान तेरा नाम रहेगा, भारत माता की जय और भूपेंद्र चौहान अमर रहे के नारे गूंजते रहे। साढ़े 11 बजे राजकीय सम्मान के साथ शहीद भूपेंद्र सिंह को अंतिम विदाई दी गई।

 

पांच साल से कर रहा था देश सेवा : मलखान सिंह के दो बेटों में बड़ा भूपेंद्र सिंह 26 दिसंबर 2015 को भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। उसका जन्म तीन मार्च 1997 को हुआ था। भूपेंद्र ने गांव के ही स्कूल से दस जमा दो कक्षा तक पढ़ाई की। उसका एक ही सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर अपने देश की सेवा करे। करीब डेढ़ साल पहले भूपेंद्र का विवाह गांव झिंझर निवासी रेखा से हुआ था। 7 महीने का एक बेटा भी है।

 

छोटा भाई कर रहा बदले की तैयारी :  शहीद भूपेंद्र चौहान का छोटा भाई दीपक कुमार ने बताया कि वह पिछले एक साल से प्रैक्टिस कर रहा है। वह अब और ज्यादा मेहनत कर सेना में भर्ती होगा। इसके बाद वह अपने भाई भूपेंद्र चौहान की मौत का बदला लेगा। दीपक ने कहा कि सेना में भर्ती होने के लिए उसका भाई भूपेंद्र उसे अक्सर प्रेरित करता रहता था। भूपेंद्र कहता था कि घर रहकर मां पिता की सेवा कर औलाद का फर्ज निभाते हैं। लेकिन सेना में भर्ती होकर हम अपनी भारत मां की सेवा करते हैं जो सबसे बड़ा धर्म है। एक फौजी के लिए देश सेवा से ऊपर कोई फर्ज नहीं होता।