संयुक्त किसान मोर्चा ने क्यों भेजा किसानों को 2 मई तक आने का मैसेज

संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों को मैसेज भेज कर 2 मई से पहले फिर से बॉर्डर पर लौटने की अपील है। यह मैसेज भेजने के पीछे एक विशेष कारण है। दरअसल, कुछ जगह खबरें प्रकाशित हुई हैं कि सरकार ने किसानों को उठाने का एक प्लान बनाया है, इसलिए किसान फिर से अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं।

किसान मोर्चा ने ब्यान जारी करके कहा कि किसानों के बीच भय का माहौल बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की झूठी खबरें फैलाई जा रही है जिसमें किसानों के धरने जबर्दस्ती उठाये जाने की बातें है। दिल्ली की सीमाओं पर और देश के अन्य हिस्सों में डटे किसान पहले भी बातचीत के पक्ष में है। यह हास्यास्पद लगता है जब भाजपा किसी चुनावी रैली करती है तो उसे कोरोना का भय नहीं दिखता है वहीं जहां उनके विरोध में कोई कार्यक्रम होते है यो वहां बहुत सख्ती से निपटने के दावे किए जाते है। हम किसानों से भी अपील करते है कि वे सयंम के साथ शांतमयी धरना जारी रखे, वहीं अन्य किसान कटाई का काम खत्म होते ही दिल्ली मोर्चों पर पहुंचे।

किसानों ने हर मौसम व हर हालात में खुद को व आंदोलन को मजबूत रखा है। हम किसानों से अपील करते है कि कोरोना सम्बधी ज़रूरी निर्देशो की पालना करते हुए मास्क पहनने जैसी सावधानी बरतकर रखें। साथ ही हम सरकार से अनुरोध करते है कि धरना स्थानों पर वैक्सीन सेंटर बनाकर व अन्य सुविधाएं प्रदान कर अपनी जिम्मेदारी निभाये।

साजिश की खबरें :

किसान नेताओ पर हमले की साजिश की खबरें आ रही है। हम इस तरह के प्रयासों की न सिर्फ निंदा करते है बल्कि इसका हम डटकर विरोध करेंगे। सरकार तार्किक स्तर पर हर संवाद हार रही है इसलिए हिंसक गतिविधियों के सहारे किसान आंदोलन को खत्म कराने की कोशिश कर रही है।

 

फिर दोहराई एमएसपी की मांग :

किसानों की लंबी मांग रही है कि सभी किसानों को सभी फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी मिलनी चाहिए। तीन खेती कानून MSP के साथ साथ खाद्य सुरक्षा व अन्य सुविधाओं पर भी हमला करते है। सरकार के साथ लगातार बातचीत में यह समझाया जा चुका है कि यह कानून किस प्रकार गलत है सरकार ने गलती मानते हुए कोई भी संशोधन करने का प्रस्ताव दिया था। किसानों की मांग रही है कि तीनों खेती कानून रद्द हो व MSP पर कानून बने। सरकार इन मांगों से हमेशा भाग रही है। हर मोड़ पर सरकार द्वारा मीडिया के सहयोग से नया मुद्दा खड़ा किया जाता रहा है। कानूनो के रद्द करने सम्बन्धी व MSP के कानून सम्बधी तर्क बहुत कम दिए जा रहे है। सयुंक्त किसान मोर्चा सरकार के इन तमाम प्रयासों के बावजूद उन मांगो को दोहराता है। हम सरकार से मांग करते है कि तुरंत कृषि कानूनों को रद्द करना व MSP पर कानून बनना देश हित, किसान हित में है।