बांग्लादेश में इस्कॉन धर्मगुरु की गिरफ्तारी से विवाद गहराया: भारत ने जताई नाराजगी, कहा- अपराधी खुले घूम रहे, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी जेल में
बांग्लादेश के चटगांव मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने इस्कॉन के धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इसके बाद चिन्मय प्रभु ने कोर्ट परिसर में समर्थकों को संबोधित करते हुए कानून के दायरे में आंदोलन जारी रखने की घोषणा की।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत न मिलने पर कड़ा विरोध जताया है। मंत्रालय ने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों के अपराधी आज़ाद घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से हक मांगने वाले धार्मिक नेता को जेल में डाला जा रहा है।”
भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त की।
- अल्पसंख्यकों पर हमले: मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों, दुकानों, मंदिरों और देवताओं पर हमले हो रहे हैं।
- अपराधियों पर कार्रवाई की कमी: मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि वह अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करे और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
- शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन: मंत्रालय ने कहा कि अल्पसंख्यकों को अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार मिलना चाहिए।
चिन्मय प्रभु की प्रतिक्रिया
चिन्मय प्रभु ने अपने संबोधन में कहा:
- “हम इस देश का हिस्सा हैं और कानून के अनुसार काम करेंगे।”
- उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने और 8 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात कही।
- उन्होंने समर्थकों से अपील की कि आंदोलन के दौरान किसी भी प्रकार का अराजक माहौल न बनने दें।
गिरफ्तारी और विरोध प्रदर्शन
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- चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी: उन्हें ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पुलिस ने हिरासत में लिया। इस्कॉन के सदस्यों ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी बिना किसी वारंट के की गई।
- आरोप: चिन्मय दास पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, राजद्रोह और राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप लगाया गया है।
- प्रदर्शन: उनकी रिहाई के लिए ढाका, चटगांव और दिनाजपुर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और हमले में 20 से अधिक लोग घायल हो गए।
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